रवाना हुआ चंद्रयान

Last Updated 23 Jul 2019 12:05:52 AM IST

भारत के लिए आज का दिन बेहद गौरवशाली और ऐतिहासिक है। सोमवार को चंद्रयान-2 के पृथ्वी की कक्षा में स्थापित होने के साथ ही देश के महत्त्वाकांक्षी मिशन के पहले चरण को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया।


रवाना हुआ चंद्रयान

इसके साथ ही भारत ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में अपनी ताकत और क्षमता को पुख्ता किया है। साथ ही हरेक देशवासियों को गौरवान्वित होने का सौभाग्य उपलब्ध कराया है। गौरतलब है कि चंद्रयान-2 इसरो के सबसे कठिन मिशनों में एक रहा है।

यह इसलिए भी बेहद जटिल और महत्त्वाकांक्षी परियोजना रही है, क्योंकि किसी भी देश ने अभी कि चांद के दक्षिणी ध्रुव पर अपना यान नहीं भेजा है। यान के सितम्बर के पहले सप्ताह में चांद पर उतरने की संभावना है।

भारतीय अंतरिक्ष संगठन (इसरो) के लिए गर्व की बात इसलिए भी है क्योंकि इसी 15 जुलाई को प्रक्षेपण को अंतिम वक्त में तकनीकी खराबी के चलते स्थगित करना पड़ा था। भारतीय वैज्ञानिकों ने आज अपनी जिजीविषा से यह सबित कर दिया कि हमने भले अंतरिक्ष और चंद्रमा के रहस्यों को जानने में कदम देर से बढ़ाए मगर दुरुस्त बढ़ाए। कह सकते हैं कि यान का प्रक्षेपण भारतीय वैज्ञानिकों के कौशल और विज्ञान के क्षेत्र में नई ऊंचाइयां छूने के लिए करोड़ों देशवासियों के मजबूत संकल्पों को प्रकट करता है।

दूसरे देशों से तुलना करें तो हमारी स्थिति ऐसी परियोजनाओं को लेकर कमतर रही है मगर यह देश का सौभाग्य है कि हमने इसे अपनी कमजोरी नहीं माना। स्वाभाविक तौर पर भारत को अभी ब्रह्मांड के अनगिनत अनसुलझे और अनछुए पहलुओं को खोजकर बाहर निकालना है और चंद्रयान-2 जैसे मिशन इसे जरूर पूरा करेंगे। भारत के लिए अमेरिका, रूस और चीन के बरक्स आना आसान नहीं है। किंतु हाल के वर्षो में इसरो ने अपनी काबिलियत से भारत को इस क्षेत्र में ऊंचे पायदान पर जरूर ला दिया है।

निश्चित तौर पर यह कामयाबी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और देश के लिए सुनहरा अध्याय होगी। उपग्रह चंद्रमा की सतह में मौजूद तत्त्वों का अध्ययन कर यह पता लगाएगा कि उसकी चट्टानें और मिट्टी किन तत्त्वों से बनी हैं? साथ ही साथ वहां मौजूद खाई और चोटियों की संरचना का अध्ययन, चंद्रमा की सतह का घनत्व और उसमें होने वाले परिवर्तन का अध्ययन, ध्रुवों के पास की तापीय गुणों का विश्लेषण का अध्ययन करेगा। कह सकते हैं कि चंद्रमा के कई राज चंद्रयान-2 के जरिये हम जान पाएंगे। वे मानवता के लिए कितने उपयोगी होंगे, यह देखना काफी दिलचस्प होगा।



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