सेमीफाइनल में भारत
भारतीय क्रिकेट टीम ने विश्व कप के सेमीफाइनल में जगह सुनिश्चित भले कर ली हो, मगर टीम में सब कुछ ठीक नहीं कहा जा सकता है।
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अब तक भारत ने आठ मैच खेले हैं, और सिर्फ मेजबान इंग्लैंड से उसे हार का सामना करना पड़ा है। अभी बस श्रीलंका से मैच बाकी है। देखना है, उस मैच में टीम की रणनीति क्या होती है? मध्य क्रम ने टीम प्रबंधन को थोड़ा चिंता में जरूर डाला है। ज्यादातर मैचों में मध्य कम्र की विफलता और एक-एक रन बनाने के लिए जूझना वाकई हमारे विश्व कप की जीत में बड़ी बाधा के रूप में सामने आया है। अलबत्ता, शीर्ष क्रम ने बेहतरीन प्रदर्शन किया है।
मगर टीम का मध्य क्रम लड़खड़ाया है। खासकर पूर्व कप्तान और सर्वश्रेष्ठ फिनिशर माने जाने जाने वाले महेंद्र सिंह धोनी का अपने अंदाज में नहीं खेल पाना परेशान करने वाली बात है। यही हाल केदार जाधव का है। उन्होंने भी अब तक के प्रदर्शन में निराश ही किया है। हां, गेंदबाजी में हम कमाल हैं, किंतु परफेक्ट तभी होंगे जब हर बात में हमारी काबिलियत सामने आए। बांग्लादेश के साथ हुए मैच की बात करें तो शीर्ष क्रम की बल्लेबाजी के चलते हमारा कुल स्कोर 350 से ऊपर होना चाहिए था। मगर यह 300 के ऊपर किसी तरह जा सका। इस पर टीम प्रबंधन को नये सिरे से सोचने की जरूरत है।
विश्व कप से पहले भी मध्य क्रम को लेकर काफी बहस भी हुई। फटाफट क्रिकेट में ठीक-ठाक प्रदर्शन कर रहे अंबाती रायडू का टीम में नहीं चुनना कइयों को हतप्रभ कर गया। टीम को मौजूदा बेंच स्ट्रेंथ से ही अच्छे का चुनाव करना है। अब चूंकि वापसी का कोई मौका नहीं मिलेगा, सो कमजोर कड़ी बन चुके मध्य क्रम के मसले को संजीदगी से समाधान करने की जरूरत है।
आधा विश्व कप बीत चुका है मगर भारतीय टीम के पास नंबर चार पर खेलने वाला एक स्थापित बल्लेबाज तक नहीं है। दिनेश कार्तिक को आजमाने में बुराई नहीं है। यह खिलाड़ी आखिरी के ओवरों में तेजी से रन बना सकता है। सर्वश्रेष्ठ शीर्ष क्रम, टॉप ऑर्डर की गेंदबाजी, उम्दा क्षेत्ररक्षण; टीम के पास सब कुछ है, किंतु मध्य क्रम की सुस्ती फिलवक्त हर किसी को परेशान किए हुए है। कुल मिलाकर खिताब जीतने की प्रबल दावेदार विराट कोहली की टीम में गहराई और गुणवत्ता दोनों है। बस कुछ बिंदुओं का निराकरण कर टीम एक बार फिर इतिहास रच सकती है।
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