मालदीव में मोदी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मालदीव यात्रा का मुख्य निष्कर्ष यही है कि 2013 में पटरी से उतर गई द्विपक्षीय संबंधों की गाड़ी फिर से पूरी गति पकड़ चुकी है।
![]() मालदीव में मोदी |
अपनी पहली विदेश यात्रा में मालदीव का चयन कर प्रधानमंत्री ने यह संदेश भी दिया कि पड़ोसी प्रथम की विदेश नीति का मूल सिद्धांत उनके आचरण में है और मालदीव का उसमें विशिष्ट स्थान है। मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद इब्राहिम सालेह के साथ द्विपक्षीय वार्ता, संसद के संबोधन तथा वहां विदेशियों को दिए जाने वाले सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार प्राप्त करते हुए मोदी ने बार-बार यही स्पष्ट किया कि भारत हर अवसर पर अपनी पूरी सामथ्र्य के साथ सहयोग के लिए खड़ा रहा है और आगे भी रहेगा। इस यात्रा के दौरान नागरिक संबंधों से लेकर आर्थिक-व्यापारिक, रक्षा सहित सांस्कृतिक संबंधों पर जो चर्चा तथा समझौते हुए उनका दूरगामी महत्त्व है।
इब्राहिम सालेह को प्रधानमंत्री ने भारतीय क्रिकेट टीम के सदस्यों के हस्ताक्षर वाला क्रिकेट बैट भेंट किया। वे क्रिकेट के फैन हैं और उन्होंने भारत से मालदीव की राष्ट्रीय क्रिकेट टीम खड़ी करने से लेकर स्टेडियम तक में सहायता मांगी थी। भारत इस दिशा में काम कर रहा है। चीन के कर्ज चंगुल से निकालने के लिए भारत ने दिसम्बर में ही सालेह को 1.4 अरब डॉलर की मदद दी थी, जिनसे कई परियोजनाएं आरंभ हुई। प्रधानमंत्री ने इसमें 1800 मिलियन डॉलर की लाइन ऑफ क्रेडिट को जोड़ते हुए कहा कि इससे विकास कार्यों के नए रास्ते भी खुले हैं।
भारत वहां बंदरगाहों का विकास, तटीय सुरक्षा, कृषि और मत्स्य पालन, पर्यटन जैसी कई परियोजनाओं पर काम कर रहा है। इसी तरह छात्रों सहित लोगों को एक द्वीप से दूसरे द्वीप जाने तथा भारत के साथ आवागमन तेज करने के लिए भारत में कोच्चि और मालदीव में कुल्तुफुशी और माले के बीच नौका सेवा शुरू करने पर सहमत हुए हैं। रक्षा सहयोग के मामले में दोनों नेताओं ने माफिलाफुशी में मालदीव राष्ट्रीय रक्षा बल का समग्र प्रशिक्षण संस्थान और भारत द्वारा निर्मिंत तटीय निगरानी रडार प्रणाली का उद्घाटन किया। यह रडार प्रणाली चीन के लिए धक्का की तरह है, जो हिंद महासागर में अपनी समुद्री रेशम मार्ग परियोजना के लिए मालदीव को अहम मानता है। इस तरह प्रधानमंत्री की यात्रा को हर दृष्टि से सफल माना जाएगा।
Tweet![]() |