गिरिराज को नसीहत
इफ्तार पार्टी को लेकर भाजपा के फायरब्रांड नेता गिरिराज सिंह के बयान की जद (यू) द्वारा जोरदार ‘रिटर्न गिफ्ट’ से मामला गरमा गया है।
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गिरिराज के बिहार के मुख्यमंत्री और भाजपा की अहम सहयोगी नीतीश कुमार पर कटाक्ष से राज्य में सियासी मिजाज भी बदलाव के बहाने ढूंढ़ने लगा है। जिस तरह से लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के रामविलास पासवान और चिराग पासवान ने और भाजपा नेता सुशील मोदी ने एक सुर में गिरिराज के बयान की लानत-मलामत की है, उससे भी मामले की गंभीरता को समझा जा सकता है। हालांकि पार्टी हाईकमान ने तुरंत मसले को ठंडा करते हुए अपने बड़बोले नेता को आगे से ऐसी बयानबाजी न करने की नसीहत दे डाली।
पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने ऐसी अनर्गल टिप्पणियों के लिए गिरिराज को फटकार लगाई। गिरिराज की नासमझी को यों समझा जा सकता है कि उन्होंने जिस इफ्तार पार्टी को लेकर ट्विट के जरिये नीतीश पर निशाना साधा, उसमें उन्हीं की पार्टी के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी और लोजपा नेता रामविलास पासवान भी मौजूद थे।
यह सारा प्रकरण इसलिए भी चौंकाने वाला है क्योंकि जीत के बाद संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में गठबंधन के नेताओं को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दृढ़ता के साथ यही कहा था कि पार्टी के नेताओं को ‘छपास और दिखास’ प्रवृत्ति से बचना होगा। नीतीश कुमार ने भी गिरिराज के ट्विट पर एक तरह से मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि गिरिराज मीडिया में बने रहने के लिए ये सब तरीके अपनाते हैं। कह सकते हैं कि भाजपा में कुछ नेता ऐसे हैं जो पार्टी को मुसीबत में डालते हैं। ऐसे नेताओं पर चेतावनी का कोई असर पड़ा हो, ऐसा देखा नहीं गया। उल्टे पार्टी के भीतर ऐसे नेताओं की बहुतायत है, जो कुछ भी अनाप-शनाप बोल कर चर्चा में बने रहते हैं। प्रचंड जीत के बाद भाजपा को एक ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ उन बड़बोले नेताओं के खिलाफ भी करनी चाहिए।
देश सबका है और सभी लोगों के प्रेम और सद्भावना से ही वह उन्नति करता है और विकास के नये प्रतिमान रचता है। मगर संकीर्ण सोच रखने वाले कुछ नेताओं की वजह से समाज की एकता को गहरा आघात पहुंचाया जाता है। शुक्र है कि भाजपा हाईकमान ने बिना वक्त गंवाये गिरिराज को सख्त लहजे में इस तरह की बात नहीं करने की हिदायत दी। देखना है, यह कितना असरदायक रहता है?
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