बंगाल में पाला बदल

Last Updated 30 May 2019 05:19:28 AM IST

पश्चिम बंगाल की राजनीतिक लड़ाई काफी सघन हो गई है। तीन विधायकों सहित 60 से अधिक पाषर्दों का एकमुश्मत भाजपा में शामिल होना वहां की जमीनी स्थिति बताता है।


बंगाल में पाला बदल

शामिल होने वाले दो विधायक तृणमूल एवं एक माकपा के थे। जिस तरह इन लोगों को दिल्ली के केंद्रीय कार्यालय में भाजपा की सदस्यता दी गई और जय श्रीराम के नारे लगे उससे भाजपा की रणनीति का भी आभास होता है। लोक सभा चुनाव में 18 क्षेत्रों में विजय के बाद भाजपा की नजर 2021 के विधानसभा चुनाव पर है। इसलिए वह प्रदेश में ऐसा वातावरण बनाए रखना चाहती है, जिससे लगे कि हर पार्टी के नेता उसकी ओर आ रहे हैं। लोगों का झुकाव भाजपा की तरफ है।

वामपंथ के पराभव के साथ ममता बनर्जी प. बंगाल की सर्वाधिक लोकप्रिय नेता बनकर उभरी थीं। उनकी लोकप्रियता है, किंतु उनमें तेजी से ह्रास हआ है। इससे तिलमिलाये तृणमूल के लोगों ने हिंसा का सहारा लिया। पंचायत चुनाव में व्यापक हिंसा हुई। लोक सभा चुनाव में भी हिंसा दिखी।

अभी तक तृणमूल से लोहा लेने वाली पार्टी का अभाव था, इसलिए असंतुष्ट लोग भी पार्टी के अंदर बने रहने में ही भलाई समझते थे। एक बार जब भाजपा ने लोहा लेना आरंभ किया और तृणमूल तथा अन्य पार्टयिों से नेता-कार्यकर्ता भाजपा का दामन थामने लगे तो फिर भय खत्म हो जाएगा। भाजपा यही चाहती है कि लोगों का भय खत्म हो। आम मतदाता साहस के साथ उनके पक्ष में मतदान कर सके।

राजधानी दिल्ली में नेताओं को पार्टी में शामिल करने के कारण यह समाचार ज्यादा प्रभावी ढंग से मीडिया की सुर्खियां बना है। भाजपा में शामिल होने वाले पाषर्दों में 17 कंचनपाड़ा नगर निगम के हैं। जैसा तृणमूल से भाजपा में आए मुकुल राय ने कहा कंचनपाड़ा नगर निगम के 26 पाषर्द हैं, तो कंचनपाड़ा नगर निगम पर भाजपा का नियंत्रण हो गया है। इसी तरह हलिसहर नगर निगम के 23 पाषर्दों में से अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष सहित 17 तथा नौहाटी नगर निगम में 31 पाषर्दों में से 29 भाजपा में शामिल हो गए।

इस तरह तीन नगर निगम भाजपा के हाथों आ गए। जैसा कि पश्चिम बंगाल प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने कहा, हम अलग-अलग चरणों में तृणमूल के नेताओं को भाजपा में शामिल करेंगे। हालांकि दलबदल लोकतंत्र की दृष्टि से उचित नहीं लेकिन किसी पार्टी में व्यापक पैमाने पर असंतोष हो तो ऐसा होना बिल्कुल स्वाभाविक है। जाहिर है, ममता बनर्जी के सामने भाजपा से लड़ने के साथ अपना घर बचाने की चुनौती पैदा हो गई है।



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