ईवीएम विवाद क्षतिकारी

Last Updated 23 May 2019 06:26:09 AM IST

ईवीएम को लेकर विवाद हमेशा से उठता रहा है, लेकिन इस बार यह विवाद ज्यादा बड़ा और व्यापक है। विपक्षी दल ईवीएम पर सवाल खड़े कर रहे हैं।


ईवीएम विवाद क्षतिकारी

भाजपा जब स्वयं विपक्ष में थी, तब उसने भी सवाल उठाए थे। पार्टी के प्रवक्ता जीवीएल नरसिंह राव ने इस पर एक किताब भी लिखी थी। विपक्ष में रहने वाला राजनीतिक दल ईवीएम पर दो तरह से निशाना बनाता है। एक तो उसे यह आशंका रहती है कि सरकारी तंत्र ईवीएम का दुरुपयोग कर उसे क्षति पहुंचाएगा और दूसरे, ईवीएम पर उस समय सवाल खड़े किए जाते हैं, जब किसी विपक्षी नेता या विपक्षी राजनीतिक दल को आशंका रहती है कि वह चुनाव हार रहा है।

इस सूरत में वह पराजय के कारणों को अपने अंदर तलाशने के बजाय ईवीएम पर आरोपित कर देते हैं। इधर, जब से एग्जिट पोल के अनुमान सामने आए हैं, जिनमें भाजपा की जीत सुनिश्चित की गई है, तब से ईवीएम पर हमले तेज हुए हैं, और ये हमले दूसरी श्रेणी के हैं यानी विपक्षी दलों को उनकी तमाम कोशिशों के बावजूद मनचाहे परिणाम नहीं मिल रहे हैं। चुनाव परिणामों के आने के बाद भी अगर इनकी पराजय होती है, तो इस पराजय के बाद इनके पास एक चालू किस्म का तर्क रहेगा कि उन्हें ईवीएम के जरिए हराया गया।

हालांकि चुनाव आयोग कह चुका है कि कहीं कोई गड़बड़ी नहीं हुई है, और ईवीएम पर आरोप लगाना अवांछित प्रतिक्रिया है। लेकिन वर्तमान चुनाव में जहां इतने गठबंधन तैयार हुए और विपक्ष के पास एक सूत्री कार्यक्रम मोदी हटाओ था, उस सूरत में विपक्ष की वास्तविक हार उसके लिए बड़ा संकट होगी। कई विपक्षी दल ऐसे हैं कि अगर वे अपनी रणनीतिक या वैचारिक अथवा संगठनात्मक हार स्वीकार करेंगे तो उनके लिए अस्तित्व का संकट पैदा हो जाएगा। मोदी की आलोचना निर्थक सिद्ध हो जाएगी। इस तरह उन्हें अपना राजनीतिक अस्तित्व बचाए रखना मुश्किल हो जाएगा।

बहुत से विपक्षी दलों ने  प्रचारित किया है कि सभी एग्जिट पोल इसलिए प्रायोजित किए गए ताकि उनके पीछे ईवीएम की गड़बड़ी को ढका जा सके, जिसके जरिये भाजपा ने अपनी जीत सुनिश्चित की है। लेकिन इस तर्क को स्वीकार करने का अर्थ है कि चुनाव आयोग से लेकर प्रशासन तंत्र और मीडिया तक हर संस्था का भाजपा के षडय़ंत्र में भागीदार होना। दरअसल, यह आरोप जितना बेबुनियाद प्रतीत होता है, उतना ही खतरनाक भी है। लोकतांत्रिक संस्थाओं पर इस तरह का दुराग्रहपूर्ण अविश्वास किसी के भी हित में नहीं है।



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