काला धन कानून की वैधता

Last Updated 23 May 2019 06:23:47 AM IST

काला धन कानून के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय का वर्तमान आदेश उम्मीद पैदा करने वाला है।


काला धन कानून की वैधता

दरअसल, अगस्ता वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर दलाली कांड के आरोपियों में से एक गौतम खेतान ने दिल्ली उच्च न्यायालय में इस बात को चुनौती दी थी कि जब यह कानून अप्रैल 2016 में अस्तित्व में आया तो इसे जुलाई 2015 के लिए नहीं लागू किया जा सकता।

उच्च न्यायालय ने इसकी दलील को स्वीकार करते हुए 15 मई को अंतरिम गौतम खेतान के विरु द्ध कार्रवाई पर रोक भी लगा दी। इसके विरु द्ध केंद्र सरकार सर्वोच्च न्यायालय गई थी, जिसने अब दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दिया है। खेतान के खिलाफ आयकर विभाग कार्रवाई कर रहा था।

सर्वोच्च न्यायालय ने गौतम खेतान को नोटिस जारी किया है तो देखते हैं वह क्या जवाब देता है? अगर दिल्ली उच्च न्यायालय का अंतरिम आदेश लागू हो गया तो, जिसने भी इस अवधि से पूर्व भ्रष्टाचार के द्वारा कालाधन अर्जित किया होगा, देश-विदेश में छिपाया होगा, आयकर की चोरी की; होगी सभी पर पुराने कानूनों के तहत मामले चलेंगे जो इतना कठोर नहीं है।

हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कह दिया था कि काला धन (अघोषित विदेशी आमदनी और संपत्ति) और कर का अधिरोपण कानून, जो अप्रैल 2016 में बना है, को अप्रैल 2015 से लागू करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। खेतान ने चुन-चुनकर काला धन कानून के विभिन्न प्रावधानों की वैधता को चुनौती दिया है।

इसमें आय कर विभाग द्वारा खेतान के खिलाफ इस कानून की धारा 51 के तहत आपराधिक शिकायत दर्ज करने की अनुमति प्रदान करना भी शामिल है। खेतान की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र से जानना चाहा था कि अघोषित विदेशी आमदनी और संपत्ति के मामलों से निबटने के लिए अप्रैल 2016 में बनाए गए काला धन कानून को जुलाई 2015 से किस तरह लागू किया जा सकता है?

केंद्र ने इसका विस्तार से जवाब दिया था, जिसमें बताया गया था कि कानून बनाने का एक प्रमुख उद्देश्य ही यह था कि इस तरह का अपराध करने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जा सके। वास्तव में सीबीआई सहित दूसरी जांच एजेंसियों ने इस कानून के तहत अनेक मामले दर्ज किए हुए हैं। अगर इसके तहत पूर्व के अपराध पर कार्रवाई ही नहीं हो सकती तो इसका प्रमुख उद्देश्य ही मर जाएगा।



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