शेयर बाजार में झमाझम
शेयर बाजार जश्न मना रहा है। चुनाव प्रक्रिया के बीच की अस्थिरता गायब है, लिवाली का दौर चल पड़ा है।
शेयर बाजार में झमाझम |
चुनावी अनिश्चितता के चलते कई दिनों से निवेशक ऐहतियात बरत रहे थे। एग्जिट पोल में मोदी सरकार फिर से आने की संभावना ने माहौल कितना बदला है, इसका प्रमाण देखिए।
सोमवार को बीएसई के संवेदी सूचकांक में 1,422 अंकों की उछाल दर्ज की गई जो अंकों के हिसाब से एक दशक में सबसे बड़ी और अब तक की दूसरी सबसे बड़ी बढ़त है। सूचकांक में 3.7 प्रतिशत की बढ़त हुई जो राजग की तरफ से नरेन्द्र मोदी को सितम्बर, 2013 में प्रधानमंत्री पद का दावेदार घोषित किए जाने के बाद प्रतिशत के अनुसार सबसे बड़ा लाभ है।
सोमवार को निफ्टी भी 421 अंकों की बढ़त के साथ रिकॉर्ड 11,828 के स्तर पर बंद हुआ। इससे निवेशकों की संपत्ति में 5.4 लाख करोड़ की बढ़ोतरी हुई। कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण 151.4 लाख करोड़ पर पहुंच गया। एक समय ऐसा आया जब 60 सेकेंड में कंपनियों की पूंजी 3.18 लाख करोड़ रुपये बढ़ी। एक्जिट पोल इससे अलग होता यानी त्रिशंकु संसद की संभावना दिखती तो बाजार धड़ाम से नीचे आया होता। एक्जिट पोल आने के पहले ही शेयर बाजार के विशेषज्ञों ने कहा था कि मोदी के नहीं आने की परिस्थिति के लिए बाजार तैयार नहीं है।
तात्पर्य यह कि एक्जिट पोल ने बाजार की मानसिकता के अनुरूप परिणाम दिए हैं। इसमें ट्रेडरों की शॉर्ट कवरिंग ने सूचकांक को मजबूती दी है। हालांकि मंगलवार को शेयर बाजार उस तरह काम नहीं कर रहा था, पर इसके कई कारण हो सकते हैं। उत्साह में आने के बाद निवेशक थोड़ा स्थिर होते हैं। बाजार की स्थिति मूलत: अब 23 मई को चुनाव परिणाम पर निर्भर करेगी। उस दिन थोड़ी अस्थिरता भी हो सकती है।
हालांकि परिणाम एक्जिट पोल में दिखाए गए अंकों के अनुरूप रहे तो बाजार से अनिश्चितता का एक बड़ा कारण खत्म हो जाएगा। शेयर बाजार मोदी को आर्थिक सुधार के संदर्भ में कठोर कदम उठाने में न हिचकने वाला प्रधानमंत्री मानता है, और यह मनोविज्ञान निवेशकों को प्रभावित करता है। हालांकि आगे कुछ वैश्विक एवं घरेलू कारक इसे प्रभावित करेंगे। मसलन, अमेरिका-चीन के बीच व्यापारिक तनाव, ईरान पर प्रतिबंधों का असर, घरेलू अर्थव्यवस्था की स्थिति, मानसून आदि इसमें प्रमुख भूमिका निभाएंगे।
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