ऊंचाई के मायने
मुंबई शेयर बाजार का संवेदी सूचकांक सेनसेक्स इन दिनों नयी नयी ऊंचाईयां छू रहा है। 1 अप्रैल को इसने अपने अब तक के अधिकतम स्तर को छुआ-39115 बिंदुओं पर पहुंचकर एक रिकार्ड कायम किया।
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1979 के अपने जन्म से इतने ऊंचे स्तर तक कभी ना गया। 2 अप्रैल को जाकर बंद हुआ-39057 बिंदुओं पर। 2 अप्रैल के हिसाब से देखें, तो सेनसेक्स ने एक साल में करीब 17 फीसद का प्रतिफल दिया है यानी जिस निवेशक ने एक साल पहले सेनसेक्स में 100 रुपये का निवेश किया था, वह आज करीब 117 रु पये का मालिक है।
यह निवेश प्रतिफल बेहतरीन प्रतिफल माना जा सकता है। शेयर बाजार उम्मीदों और आशंकाओं पर चलता है। अर्थव्यवस्था की ओर देशी विदेशी निवेशक बहुत उम्मीदों से देख रहे हैं। विदेशी संस्थागत निवेशकों ने भारतीय बाजार में अपना निवेश लगातार बढ़ाया है। शेयर बाजार को उम्मीद है कि आनेवाले वक्त में जो सरकार बनेगी, वह स्थिर सरकार बनेगी। वैसे इस बात के भी खतरे मौजूद हैं कि लोकसभा चुनावों के बाद जो सरकार बने, उसमें अस्थिरता के तत्व विद्यमान हों।
इसलिए तो कहा जाता है कि शेयर बाजार खतरों से खाली नहीं होता। आम तौर पर जब शेयर बाजार में भाव ऊपर की ओर जाते हैं, तो कई निवेशकों को लगता है कि वह बहुत होशियार है और उनका निवेश बाजार में लगातार ऊपर जा रहा है। पर शेयर बाजार जब नीचे की ओर जाता है, तो तमाम निवेशक सरकार समेत कई तत्वों को कोसने लगते हैं। दरअसल शेयर बाजार को लेकर यह समझदारी जरूरी है कि शेयर बाजार हमेशा एक न्यूनतम अनिश्चितता के साथ चलते हैं। इस वक्त बाजार उम्मीद के जोश में है। वि की टाप अर्थव्यवस्थाओं में शुमार भारत, जीएसटी संग्रह की बेहतर स्थिति, किसानों के लिए बजट में उठाये गये कदमों से निवेशक आस्त हैं कि अर्थव्यवस्था में जो सुस्ती दिखायी पड़ रही थी, वह खत्म होगी।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के भाव ऊपर का रु ख नहीं दिखा रहे हैं। रिजर्व बैंक से उम्मीद है कि वह देर सबेर ब्याज दरों में कटौती का इशारा करेगा। यानी कुल मिलाकर अर्थव्यवस्था में कई सकारात्मकताएं चिन्हित की जा रही थीं। खास कर तमाम विदेशी निवेशकों को अर्थव्यवस्था में बहुत उम्मीदें दिखायी पड़ रही हैं। किसानों के मसले, बेरोजगारी के मसले जरूर चिंता में डालने वाले हैं, पर कुल मिलाकर शेयर बाजार आस्त है कि इन मसलों से निपट लिया जाएगा।
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