विवाद अनुचित

Last Updated 25 Mar 2019 06:46:53 AM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पाकिस्तान के राष्ट्रीय दिवस की पूर्व संध्या पर लिखे गए शुभकामना संदेश पर राजनीतिक विवाद दुर्भाग्यपूर्ण है।


विवाद अनुचित

कई बार कूटनीति में जो कुछ किया जाता है, उसके पीछे कई संदेश देने की मंशा निहित होती है। आखिर प्रधानमंत्री ने यही लिखा न कि मैं पाकिस्तान के राष्ट्रीय दिवस के अवसर पर देश की जनता को बधाई और शुभकामनाएं देता हूं। यह वक्त है जब उपमहाद्वीप के लोग आतंक और हिंसा से मुक्त वातावरण में लोकतांत्रिक, शांतिपूर्ण, प्रगतिशील और समृद्ध क्षेत्र के लिए मिलकर काम करें।

इन दो पंक्तियों में ऐसा क्या है, जिसका विरोध किया जाना चाहिए? इसका यह मतलब कतई नहीं है कि भारत ने आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान के प्रति अपना रु ख नरम कर दिया है। पाकिस्तान उच्चायोग ने जब पाकिस्तान दिवस पर हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के नेताओं को आमंत्रित किया तो सरकार ने साफ कर दिया कि उनका कोई प्रतिनिधि इसमें शामिल नहीं होगा। प्रोटोकॉल के तहत हर वर्ष पाकिस्तान दिवस पर उच्चायोग में कोई-न-कोई मंत्री जाता था। इस बार भारत ने बहिष्कार कर दिया।

हालांकि कश्मीर में हो रही कार्रवाई से डरे हुर्रियत नेता दिल्ली आए ही नहीं। यह भी पहली बार हुआ है। इस कड़े रवैये वाले पक्ष को नजरअंदाज कर दो पंक्ति के संदेश को कांग्रेस द्वारा लव लेटर कहना कतई उचित नहीं। यह एक सुविचारित कूटनीति के तहत लिखा गया संदेश है। इसके माध्यम से प्रधानमंत्री ने यह कहा है कि हम आतंक और हिंसा से मुक्त एक अच्छे वातावरण में पूरे क्षेत्र की समृद्धि के लिए मिलकर काम करना चाहते हैं। इसका अर्थ यह भी हुआ कि मिलकर काम करने के लक्ष्य में आतंकवाद और हिंसा सबसे बड़ी बाधा बना हुआ है। इस क्षेत्र में आतंकवाद और हिंसा पाकिस्तान के कारण है तो फिर उसे खत्म करने की जिम्मेवारी किसकी है?

बाकी देशों को इसके द्वारा भारत ने बता दिया है कि हमारा राष्ट्रीय लक्ष्य पूरे क्षेत्र में शांतिपूर्ण लोकतांत्रिक माहौल बनाना है और इसी का ध्यान रखते हुए पाकिस्तान की भारत विरोधी आतंकवादी गतिविधियों के बावजूद उनके राष्ट्रीय दिवस पर हमने शुभकामनाएं दी है। यदि भविष्य में भी कड़े कदम उठाने की संभावना हो तो कूटनीति में इस तरह की भंगिमा अपनाई जाती है। हमारा मानना है कि पार्टियां चुनावी आरोप-प्रत्यारोप से विदेश नीति को मुक्त रखें। इससे देश की छवि पर असर होता है और रणनीति कमजोर होती है। विदेश नीति देश की होती है किसी एक पार्टी की नहीं।



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