चीन पर दबाव

Last Updated 18 Mar 2019 04:52:12 AM IST

भारत के लिए यह खबर निश्चय ही उत्साहवर्धक है कि मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के प्रस्ताव में अड़ंगा लगाने वाले चीन के साथ प्रमुख देश बातचीत कर रहे हैं।


चीन पर दबाव

प्रस्ताव पेश करने वाले तीनों देश अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन अब चीन के साथ गहन सद्भावना वार्ता कर रहे हैं, ताकि अजहर को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद समिति में वैश्विक आतंकवादी घोषित करने को लेकर कोई समझौता किया जा सके। परिषद के सदस्य प्रस्ताव पर अंदर हुई बातचीत को गोपनीय रखने के नियम से बंधे होने के बावजूद अपनी पहचान जाहिर न करते हुए चीन को चेतावनी तो दे ही चुके हैं कि उसने रवैया न बदला तो वे दूसरा रास्ता अपना सकते हैं। इसका उस पर दबाव तो है ही। अब बातचीत कर एक समझौते पर पर पहुंंचने की कोशिश में हो सकता है सफलता मिल जाए। चीन को इसकी भाषा पर कुछ आपत्ति थीं। तो प्रस्ताव की भाषा ऐसी की जा सकती है, जिससे चीन को आपत्ति न रहे। किंतु बदलाव भी सुरक्षा परिषद की अल कायदा समिति के नियमों के अनुरूप ही हो सकता है। जो भी हो यह भारतीय कूटनीति की बड़ी सफलता है कि चीन द्वारा चौथी बार मामले में अड़ंगा लगाने के बावजूद प्रस्तावक देश चुप बैठे नहीं। उसी समय से उन्होंने वार्ता आरंभ कर दी।

भारत चीन के रवैये से निराश जरूर है, लेकिन संयम न खोकर प्रयास करता रहेगा। भारत का यह कहना भी सही है कि चूंकि पाकिस्तान अपनी सरजमीं का इस्तेमाल आतंकवाद को प्रायोजित करने के लिए करता है, जो चीन के लिए चिंता का कारण होना चाहिए। अब चीन के सामने आतंकवाद के मामले पर विश्व समुदाय के साथ आने या अलग-थलग पड़ने में से एक विकल्प को चुनने की स्थिति है। बाचतीत के बावजूद वह नहीं मानता तो तीन स्थायी सदस्य देश संयुक्त राष्ट्र प्रावधान के मुताबिक खुली बहस के लिए प्रस्ताव पेश कर सकते हैं। इससे चीन की चुनौती बढ़ जाएगी क्योंकि तब इसे बहुमत से पारित कराया जा सकता है। उम्मीद है कि चीन को सुबुद्धि आएगी और वह इस कलंक को  माथे पर नहीं लेना चाहेगा कि अजहर आतंकवादी तो घोषित हुआ मगर उसने साथ नहीं दिया। जो भी होगा या जो हो रहा है, वह हमारे लिए संतोष का विषय इसलिए है कि आज भारत के पक्ष में इतने देश काम कर रहे हैं। यह यूं ही तो नहीं हुआ है।



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