सरकार का तोहफा

Last Updated 17 Nov 2018 05:58:50 AM IST

नरेन्द्र मोदी सरकार ने मातृत्व अवकाश की नीति को और अधिक उदार बनाने की दिशा में अहम कदम उठाये हैं।


सरकार का तोहफा

इनका स्वागत किया जाना चाहिए। अब 15 हजार रुपये प्रतिमाह से अधिक वेतन पाने वाली महिला कर्मचारियों को सात हफ्ते का वेतन सरकार नियोक्ताओं को देगी। दरअसल, मातृत्व लाभ संशोधन विधेयक-2016 में नौ से अधिक कर्मचारियों वाले प्रतिष्ठानों में कामकाजी महिलाओं के लिए मातृत्व अवकाश की अवधि 12 सप्ताह से बढ़ा कर 26 सप्ताह कर दी गई थी।

इस संशोधन विधेयक पर 2017 में राष्ट्रपति की मुहर लगने के बाद से ही आशंका व्यक्त की जा रही थी कि निजी प्रतिष्ठान महिलाओं को मातृत्व अवकाश देने में परेशानी खड़ी कर सकते हैं। इसलिए कि इस कानून में प्रावधान है कि अवकाश के दौरान नियोक्ता महिला को पूरा वेतन देगा। पर चूंकि देश के ज्यादातर निजी प्रतिष्ठान श्रमिक हितों पर कम और अपने मुनाफे पर ज्यादा जोर देते हैं।

जाहिर है, ऐसे अनुदार निजी प्रतिष्ठान 26 सप्ताह का सवैतनिक मातृत्व अवकाश देने की बात सोच भी नहीं सकते हैं। वहीं दूसरी तरफ, दुनिया के आधे से अधिक देशों में गर्भवती महिलाओं को अनेक तरह की निशुल्क चिकित्सा सुविधाएं दी जाती हैं। स्वीडन में तो सबसे अधिक 56 सप्ताह का मातृत्व अवकाश दिया जाता है और महिलाओं को उनके वेतन की अस्सी फीसद धनराशि दी जाती है।

लेकिन भारत में निजी संस्थान उस विधेयक के कानून बनने के बाद महिलाओं को रोजगार देने से अपने हाथ पीछे खिंचने लगे। इस कारण निजी क्षेत्र में महिलाओं के रोजगार में कमी आ गई थी। तब सरकार ने फैसला किया कि श्रम कल्याण उपकर की अधिकतर अनप्रयुक्त राशि का उपयोग नियोक्ताओं को देने में किया जाएगा, जिसे वह  गर्भवती कामकाजी महिलाओं के ऊपर खर्च करेंगे। इससे जच्चा-बच्चा दोनों के स्वास्थ्य की बेहतर देखभाल और सुरक्षा हो सकेगी।

पर्याप्त मातृत्व अवकाश और नियमित आय की सुरक्षा न होने से महिलाओं के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। भारत में मोदी सरकार के इस फैसले से संगठित क्षेत्र की कामकाजी महिलाओं को लाभ मिलेगा। लेकिन असंगठित क्षेत्र की महिलाओं का भी राष्ट्र के आर्थिक विकास में बहुत बड़ा योगदान रहा है। लिहाजा इस श्रेणी की करीब 15 करोड़ महिलाओं को भी इसके दायरे में लाने पर सरकार अवश्य विचार करेगी।



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