डिग्री पर फजीहत

Last Updated 17 Nov 2018 05:50:59 AM IST

फर्जी डिग्री मामले में भाजपा की छात्र ईकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) का सख्त फैसला देर से उठाया गया कदम है।


डिग्री पर फजीहत

अंकिव बसोया के दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ का अध्यक्ष बनने के तुरंत बाद से ही कांग्रेस की छात्र ईकाई नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) ने बसोया की डिग्री को फर्जी बताया था। एनएसयूआई लगातार इस मामले में एबीवीपी और भाजपा पर हमलावर थी।

उसने दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन पर भी त्वरित कार्रवाई करने का दबाव बनाए रखा। मगर एबीवीपी ने बसोया को निलंबित करने का फैसला दरअसल अध्यक्ष पद को अपने पाले में बनाए रखने तक लटकाए रखा। चूंकि लिंग्दोह कमिटी के अनुसार अगर परिणाम घोषित होने के दो महीने पूरे होने से पहले किसी पदाधिकारी की कुर्सी जाती है तो दूसरे नंबर पर रहने वाले प्रत्याशी को विजयी घोषित किया जा सकता है या फिर दोबारा चुनाव कराने का फैसला चुनाव समिति कर सकती है।

हालांकि एबीवीपी की यह चालाकी अब सबके सामने आ गई है। और इससे उनकी फजीहत भी हो रही है। मगर सवाल सिर्फ फर्जी डिग्री की मदद से दाखिला लेने भर का नहीं है। इस फर्जीवाड़े ने शिक्षा व्यवस्था के लिजलिजेपन को भी सबके सामने ला दिया है।

आखिर फर्जी सर्टिफिकेट का मदारी कौन है? इस तंत्र पर चोट कब लगेगी? अंग्रेजी में एक कहावत है ‘विजडम इज इंपरेटेंट दैन एजुकेशन’ यानी ‘शिक्षा से जरूरी अकलमंदी होती है।’ यानी ऐसी शिक्षा की जरूरत है जो वाकई शिक्षित करती हो न कि केवल डिग्री देती हो।

दूसरा अहम सवाल कि इस घटना ने न केवल दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ की प्रतिष्ठा को चोट पहुंचाई है वरन इसने छात्रों के जनादेश पर भी सवाल खड़े किए हैं। दुखद तथ्य यह है कि एबीवीपी ने सिद्धांतों को परे रख दिया और अपने छात्र नेता के फर्जीवाड़े का अंतिम समय तक बचाव करती रही। पूरे प्रकरण ने दिल्ली विश्वविद्यालय की दाखिला प्रक्रिया पर भी गंभीर सवाल पैदा किए हैं।

दिल्ली विश्वविद्यालय की दाखिला समिति की तरफ से इसी साल जनवरी में कहा गया था कि छात्रों के दस्तावेजों एवं डिग्रियों की जांच के लिए फॉरेंसिक विशेषज्ञों की मदद ली जाएगी। आखिर इस दावे का क्या हुआ? जब तक छात्रों के दस्तावेजों को जांचने के लिए बेहतर कदम नहीं उठाए जाएंगे, अंकिव जैसे कई मामले सामने आते रहेंगे। इसलिए सबसे पहले शिक्षा के तौर-तरीकों पर चर्चा होनी चाहिए। बाकी सुधारों की बात बाद में भी हो तो चलेगा।



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