बढ़ गई बेटियां

Last Updated 17 Oct 2017 12:41:13 AM IST

एक समय ऐसा भी था, जब हरियाणा लिंग अनुपात के मामले में सबसे पिछड़ा था. यहां लड़कों की संख्या के अनुपात में लड़कियों की संख्या बाकी राज्यों के मुकाबले बेहद कम हुआ करती थी.


बढ़ गई बेटियां

और यह आंकड़ा देश के नीति-नियंताओं और महिला संगठनों के लिए चिंता का सबब भी थी. एक समय वर्षो पुरानी पुरुष प्रधान मानसिकता और इससे जुड़े अन्य कारण लड़कियों की घटती गिनती के लिए जिम्मेदार थे.

लड़कियों को या तो कोख में ही मार दिया जाता था या पैदा होते ही गला घोंट दिया जाता था. वैसे भी देश के संपन्न चुनिंदा सम्पन्न राज्यों मसलन दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और महाराष्ट्र में एक समय लिंग अनुपात बेहद लचर था. लेकिन सरकार के प्रयास और लोगों में जागरूकता बढ़ने के चलते इस गूढ़ समस्या का हल निकलता दिखने लगा है.

खासकर हरियाणा जो कन्या भ्रूण हत्या के लिए बदनाम रहा है, अब चमत्कारिक ढंग से बदलाव को देख, सुन और समझ रहा है. केंद्र सरकार खासकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सबसे महत्त्वाकांक्षी योजना ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का सकारात्मक असर हरियाणा में दिखने लगा है.

महज दो साल पहले हरियाणा के ही पानीपत जिले से इस योजना को शुरू करने के पीछे सरकार की यही मंशा थी कि लड़कियों की संख्या और उन पर ज्यादतियों के जितने दाग पूर्व में लगे हैं, उन्हें मिटाना हर हाल में जरूरी है. और दो साल के अंदर यह दाग मिटता दिखाई पड़ने लगा है.

हालांकि इससे कुछ साल पहले तक लैंगिक विषमता, भ्रूण हत्या और लड़कियों से भेदभाव के मामले में हरियाणा की देश भर में नकारात्मक छवि थी. यह सब कुछ जागरूकता के प्रसार, साक्षरता का स्तर बढ़ाने और बेहतर कानून-व्यवस्था के चलते संभव हो सका है. यह बहुत बड़ी और नजीरी मिसाल है. नि:संदेह हरियाणा सरकार इसके लिए बधाई की हकदार है.

जनता में अच्छे-बुरे की समझ बढ़ने से ही आज हरियाणा का सीना गर्व से चौड़ा है. जनता का साक्षर होना इस मायने में महत्त्वपूर्ण है कि एक बेटी के पढ़ने से दो परिवार शिक्षित होते हैं. कह सकते हैं कि आने वाले वर्षो में कुछेक सफल सामाजिक आंदोलनों में यह अभियान भी जरूर अपनी मौजूदगी दर्ज कराएगा.



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