पाकिस्तान की धमकी

Last Updated 23 Sep 2017 01:05:40 AM IST

आतंकवाद को लेकर विशेषकर कश्मीर में पाकिस्तान परस्त आतंकवादी संगठनों पर भारत की आक्रामक नीति के बाद से पाकिस्तान को कुछ भी नहीं सूझ रहा है.




पाकिस्तान की धमकी

थक-हारकर उसने उत्तर कोरिया वाली शैली में अब भारत को आंखें दिखाने की भौंडी कोशिश यह कहकर की है कि उसने भारत की ‘कोल्ड स्टार्ट डॉक्ट्रीन’ से निपटने के लिए कम दूरी के एटमी हथियार विकसित किए हैं और इसका और कोई अर्थ नहीं निकाला जाए.

हालांकि पाकिस्तान की इस गीदड़ भभकी का भारत के लिए कोई मतलब नहीं है, फिर भी यह देखना दिलचस्प है कि पाकिस्तान की यह स्वीकारोक्ति उस देश में हुई है, जो इस वक्त आतंकवाद खासकर पाकिस्तान में आतंकवादियों की हमदर्दी और शरणस्थली को लेकर सबसे ज्यादा चिंतित और आक्रामक है. एक वक्त ऐसा भी था, जब भारत की हर दलील और आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान को बेपर्दा करने का हर सबूत अमेरिका को झूठा लगता था. लेकिन अब हर चीज साफ है.

पाकिस्तान को यह भी पता चल चुका है कि अमेरिका के नये राष्ट्रपति ट्रंप उसके बारे में कैसे विचार रखते हैं? शायद अमेरिका के दिल में एक बार फिर जगह बनाने और लगे हाथ भारत को परमाणु हथियार का भय दिखाकर पाकिस्तान इसी संतुलन को साधने की कोशिश में है. लेकिन कहते हैं न कि जरूरत से ज्यादा चालाक बनना नुकसानदेह होता है.

यही बात पाकिस्तान के संदर्भ में सटीक बैठती है. भारत की डॉक्ट्रीन की आड़ लेकर भले उसने अपने पास परमाणु हथियार होने की बात स्वीकार कर ली, लेकिन वह इस आरोप को कैसे झुठला सकता है कि वह तेजी से परमाणु हथियार विकसित कर रहा है.

और यह आरोप उसी शीर्ष अमेरिकी थिंक टैंक का है, जहां पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहिद खाकन अब्बासी अपनी बात रखने पहुंचे थे. वह इस आरोप से भी कैसे पीछा छुड़ा सकता है कि आज अमेरिका जैसी महाशक्ति पर हाइड्रोजन और आणविक बम गिराने की धमकी देने वाला पिद्दी सा देश उ. कोरिया को यह ताकत उसी पाकिस्तान ने दी है.

पाकिस्तान ने अपनी सफाई में यह कहा कि उसका परमाणु हथियारों का जखीरा पूरी तरह सुरक्षित है. लेकिन आतंकवादियों का पनाहगाह बन चुके देश में ‘सुरक्षित’ होने का दावा बिल्कुल झूठा और हास्यास्पद है. और इसे विश्व का हर मुल्क भली-भांति समझता है. फिर भी भारत को अपनी तैयारियों को लेकर बेहद सतर्क और चुस्त-दुरुस्त रहने की दरकार है. साथ ही आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान पर वैश्विक स्तर पर शिंकजा कसने की जरूरत है.



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