आर्थिक पैकेज का संकेत
पहले प्रधानमंत्री द्वारा अर्थव्यवस्था के हालात को समझने एवं उसे दुरुस्त करने के लिए बुलाई गई बैठक और उसके बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा कई बैठकों के बाद यह संकेत मिल रहा है कि सरकार एक प्रोत्साहन पैकेज लाने पर विचार कर रही है.
आर्थिक पैकेज का संकेत |
वस्तुत: जो सूचना है; उसके अनुसार वित्त मंत्री ने पिछले दो दिनों में कई मंत्रियों के अलावा संबंधित विभागों के अधिकारियों, अर्थशास्त्रियों एवं उद्योगजगत व कारोबारियों से चर्चा की है.
कहने की आवश्यकता नहीं कि इन सब चर्चाओं के केंद्र में अर्थव्यवस्था को शीघ्र पटरी पर लाना और उसे बनाए रखना है. सर्वविदित है कि हाल में आए सरकारी आंकड़ों में अर्थव्यवस्था की स्थिति खराब दिखाई गई है.
केंद्रीय सांख्यिकी संगठन के अनुसार वर्तमान वित्त वर्ष की पहली तिमाही में विकास दर घटकर 5.7 प्रतिशत रह गई है. यह पिछले तीन साल में न्यूनतम है. पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में विकास दर 7.9 प्रतिशत थी, जबकि चौथी तिमाही में यह 6.1 प्रतिशत थी. इसका अर्थ हुआ कि आर्थिक विकास दर में लगातार गिरावट आ रही है.
इससे यह भय पैदा हुआ है कि शायद विकास दर 7.5 प्रतिशत का लक्ष्य हासिल न कर पाए. विदेश व्यापार के मामले में निर्यात के मोर्चे पर भी स्थिति निराशाजनक है. निर्यात में अपेक्षानुरूप वृद्धि नहीं हो रही है. औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि की रफ्तार भी धीमी है. इसका नतीजा यह है कि चालू खाते का घाटा वर्तमान वित्त वर्ष में अप्रैल से जून के दौरान बढ़कर सकल घरेलू उत्पाद के 2.4 प्रतिशत हो गया है.
पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में यह अनुपात सकल घरेलू उत्पाद के 0.1 प्रतिशत था. रोजगार सृजन पर भी असर पड़ा है. तो स्थिति ज्यादा बिगड़ जाए उसके पहले उसे संभालने के लिए कदम उठाने में ही बुद्धिमानी है. इसलिए सरकार यदि पैकेज की कवायद कर रही है तो उसे सही कहा जाएगा. नोटबंदी एवं उसके बाद जीएसटी लागू करने के बाद अर्थव्यवस्था को फौरी तौर पर झटका लगना ही था.
किंतु यह झटका इतना बड़ा होगा इसका अनुमान सरकार को भी नहीं था. तो यह पैकेज अर्थव्यवस्था की गाड़ी को पटरी पर लाने के लिए होना चाहिए. वैसे विश्व बैंक ने भी कहा है कि जीएसटी को सफलतापूर्वक लागू करने के बाद भारत की विकास दर आठ प्रतिशत तक जा सकती है. इसके लिए एक साथ सभी आर्थिक सूचकों का अध्ययन कर कमियों का ठीक से मूल्यांकन कर धक्का देने के लिए पैकेज का ईधन देना होगा.
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