सेंसेक्स की छलांग

Last Updated 28 Apr 2017 03:23:01 AM IST

मुंबई शेयर बाजार का संवेदनशील सूचकांक-सेंसेक्स लगातार दो दिनों से तीस हजार बिंदुओं से ऊपर बंद हो रहा है.




सेंसेक्स की छलांग

यही नहीं निफ्टी भी नये शिखर पर है. तीस हजार बिंदु का खासा  ऐतिहासिक महत्त्व है. मजबूत होते रुपये से भी निवेशकों का मनोबल बढ़ा हुआ है. तीस हजार बिंदुओं पर दो दिन बंद होने का मतलब है कि सेंसेक्स ने तीस हजार की राह देख ली है आगे इससे भी आगे जाने की उम्मीद लगाई जा सकती है. तीस हजार के ऊपर जाने की हाल की वजह तो दिल्ली नगर निगम चुनाव में भाजपा की जोरदार  विजय है.

यूं मोटे तौर पर स्थानीय निकाय के चुनाव से सेंसेक्स के उछलने का संबंध तलाशना आसान नहीं है. पर गहराई से देखें, तो निकाय चुनाव में केजरीवाल के परास्त होने के गहरे राजनीतिक आशय हैं और उन राजनीतिक  आशयों को शेयर बाजार शुभ मान रहा है.

शेयर बाजार सबसे ज्यादा नापसंद जिस बात को करता है, वह है बाजार की अनिश्चितता. अनिश्चित माहौल में शेयर बाजार डूबना शुरू करता है. मोदी के राष्ट्रव्यापी असर को जिन केंद्रों से चुनौती मिलती रही है, दिल्ली उनमें से एक है. बंगाल से ममता बनर्जी, बिहार से नीतीश कुमार, उड़ीसा से नवीन पटनायक अपनी तरह से मोदी के लिए चुनौतियां पेश करते रहे हैं.

पर केजरीवाल की चुनौती अलग आयाम इसलिए ले लेती थी कि दिल्ली में होने के नाते उन्हें मीडिया कवरेज बहुत जबरदस्त मिलती है. जीत की सूरत में केजरीवाल मोदी विरोधी ताकतों के एक केंद्रबिंदु के तौर पर भी उभर सकते थे. यह सब शेयर बाजार को पसंद नहीं आता, क्योंकि इससे राजनीतिक अनिश्चितता में बढ़ोत्तरी होती. अब शेयर बाजार आस्त है कि मोदी की नीतियों को कोई ठोस चुनौती कहीं से भी नहीं है, केजरीवाल से तो बिल्कुल नहीं.

पर इसका मतलब यह नहीं है कि मोदी को एकदम निश्चिंत हो जाना चाहिए. मोदी सरकार को सेंसेक्स को अपनी नीतियों के प्रति एक प्रतिक्रिया ही मानना चाहिए, एकमात्र प्रतिक्रिया नहीं. साथ ही निवेशकों को भी सावधान रहने की जरूरत है. उत्साह में निवेशक बह न जाएं इस बात का ख्याल रखना समझदारी होगी. कुल मिलाकर यह वाकई अच्छे दिन की शुरुआत है.



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