योगी का आश्वासन
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने गोरखपुर के अपने स्वागत समारोह में जो कुछ कहा, उससे उनकी सरकार की नीतियों का दिग्दर्शन हो जाता है.
आदित्यनाथ योगी का आश्वासन (फाइल फोटो) |
उसमें एक साथ उदारता-लचीलापन और कठोरता दोनों का पुट था. उदारता इस मायने में कि उन्होंने स्पष्ट कहा कि उनकी सरकार किसी भी स्तर पर चाहे जाति हो संप्रदाय या लिंग भेदभाव नहीं करेगी. यानी सबके साथ समान व्यवहार. पूर्व सरकारों पर भाजपा एक समुदाय विशेष के तुष्टिकरण का आरोप लगाती रही है. यह नहीं होना चाहिए कि पूर्व सरकार एक समुदाय का कर रही थी तो योगी सरकार किसी दूसरे समुदाय का तुष्टिकरण करने लगे.
योगी ने इसके प्रति आश्वस्त किया है कि ऐसा नहीं होगा. यह सरकार के स्तर पर मान्य व्यवहार कहा जाएगा. तुष्टिकरण तो किसी का भी नहीं होना चाहिए. तुष्टिकरण का मतलब है कि आप शासन की नजर में किसी व्यक्ति या समुदाय को विशेष मानते हैं, उसके साथ विशेष व्यवहार करते हैं और यहीं से भेदभाव आरंभ होता है.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सबका साथ सबका विकास की नीति को उन्होंने व्यवहार में अपनाने की बात की. अगर कुछ पार्टयिां किसी खास समुदाय के मन में वर्तमान सरकार के प्रति भय पैदा करने की कोशिश कर रही हैं तो इस आासन के बाद वह दूर हो जाना चाहिए. किंतु अवैध बूचड़खाने के मामले पर योगी एकदम कठोर रु ख लेकर सामने आए. उन्होंने स्पष्ट कहा कि राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण अवैध बूचड़खानों को बंद करने के लिए बार-बार कह रहा था और वे इसे पूरा करने के प्रति संकल्पित हैं. लेकिन लाइसेंस से चलने वाले और मानकों का पालन करने वाले बूचड़खानों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होगी यह भी स्पष्ट हैं.
इसी तरह उन्होंने ‘एंटी रोमियो दस्ते’ के बारे में स्पष्टीकरण दिया कि लड़कियों महिलाओं के साथ छेड़छाड़ करने वाले या अपने रवैये से बच्चियों का स्कूल कॉलेज न जाने के लिए मजबूर करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी, पर पुलिस को उन्होंने निर्देश दिया कि आपसी सहमति से चलते या पाकरे में बैठे जोड़ों पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं होनी चाहिए. इसका मूल उद्देश्य लड़कियों-महिलाओं के मन से असुरक्षा बोध को खत्म करना है.
कानून के शासन का यही अर्थ है. वास्तव में योगी ने अपने भाषण से यही स्पष्ट करने की कोशिश की है कि उनका शासन पूर्व शासन से अनेक मायनों में भिन्न तो होगा, क्योंकि उसका जनादेश इसके लिए ही है, पर उसमें न किसी तरह की सांप्रदायिक सोच होगी न उसका आचरण ही संकुचित होगा.
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