केकेआर को गेंदबाज नारायण चाहिए या बल्लेबाज नारायण

Last Updated 22 Apr 2017 05:24:37 PM IST

कोलकाता नाइटराइडर्स के कप्तान गौतम गंभीर वेस्टइंडीज के अपने अबूझ स्पिनर सुनील नारायण को आईपीएल 10 में ओपिंग में उतारने का दिलचस्प प्रयोग कर रहे हैं लेकिन उन्हें यह देखना होगा कि टीम को गेंदबाज नारायण की जरुरत है या बल्लेबाज नारायण की.


स्पिनर सुनील नारायण (फाइल फोटो)

कोलकाता की कल ईडन गार्डन में गुजरात लायंस की चार विकेट की हार के बाद यह सवाल प्रमुखता से उठकर सामने आया है. नारायण ने इस मैच में बेशक ताबड़तोड़ बल्लेबाजी करते हुए 17 गेंदों में नौ चौकों और एक छक्के की मदद से 42 रन ठोके थे. लेकिन गेंदबाजी में उन्होंने चार ओवर में 42 रन भी लुटाए थे जो इस टूर्नामेंट में उनका अब तक सबसे महंगा गेंदबाजी विश्लेषण हैं.

अपनी ऊंगलियों के कमाल से बल्लेबाजों को छकाने वाले नारायण ने अपनी टीम के आईपीएल के पहले मुकाबले में गुजरात लायंस के खिलाफ चार ओवर में 33 रन दिये. टीम के दूसरे मैच में उन्होंने मुंबई इंडियंस के खिलाफ चार ओवर में 22 रन पर एक विकेट लिया. तीसरे मैच में उन्होंने किंग्स इलेवन पंजाब के खिलाफ चार ओवर में मात्र 19 रन देकर एक विकेट हासिल किया.

नारायण ने चौथे मैच में सनराइजर्स हैदराबाद के खिलाफ चार ओवर में 18 रन पर एक विकेट और फिर पांचवें मैच में दिल्ली में दिल्ली डेयरडेविल्स के खिलाफ चार ओवर में 20 रन पर एक विकेट लिया. लेकिन पिछले मैच में वह 42 रन लुटाकर कोई विकेट नहीं ले पाये.

गंभीर के सामने निश्चित रूप से यह एक बड़ा सवाल होगा कि वह अपने मैच विजयी गेंदबाज को ओपिंग में उतारकर चौके-छक्के उड़ाने का लुत्फ लेने दें या फिर उन्हें कंजूसी के साथ गेंदबाजी करने दें. ट्वंटी-20 में 222 मैचों में 5.83 के बेहद प्रभावशाली इकॉनोमी रेट से 272 विकेट हासिल करने वाले नारायण कोलकाता की गेंदबाजी के मारक अस्त्र हैं और उनका इस्तेमाल गेंदबाजी में ही ज्यादा होना चाहिये.



क्रिकेट का एक बड़ा दिलचस्प उसूल है कि यदि किसी गेंदबाज को बल्लेबाजी करने में ज्यादा मजा आने लगे तो उसकी गेंदबाजी की धार कम होने लगती है. कोलकाता के पास अच्छे बल्लेबाजों की फौज है तो फिर बार-बार नारायण को ओपिंग में उतारने की कोई जरुरत नहीं है.

नारायण ने आईपीएल 10 में पंजाब के खिलाफ 37 रन और गुजरात के खिलाफ 42 रन की दो अच्छी तेजतर्रार पारियां खेली हैं. लेकिन टीम को उनकी गेंदबाजी की ज्यादा जरूरत है. कोलकाता को 2012 और 2014 में दो बार चैंपियन बनाने में नारायण की गेंदबाजी की सबसे बड़ी भूमिका रही थी. वह 2012 में तो मैन आफ द टूर्नामेंट भी रहे थे.

इस दिग्गज स्पिनर ने 2014 की कैरेबियन प्रीमियर लीग में एक मैच में 24 गेंदों में से 21 गेंदों में कोई रन नहीं दिया था. नारायण को यदि इसी तरह ओपिंग में बार बार उतारा जाता रहा तो इसका असर उनकी गेंदबाजी पर भी पड़ सकता है और कोलकाता को नुकसान भी हो सकता है. 

वार्ता


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