Tokyo Paralympics : प्रवीण कुमार ने ऊंची कूद में तोड़ा एशियाई रिकॉर्ड, जीता रजत पदक; PM मोदी ने दी बधाई
भारत के प्रवीण कुमार ने शुक्रवार को यहां टोक्यो पैरालंपिक में पुरूषों की ऊंची कूद टी64 स्पर्धा का रजत पदक जीता जिससे देश ने इन खेलों में 11 पदक अपने नाम कर लिये हैं।
![]() प्रवीण कुमार ने T64 ऊंची कूद में रजत पदक जीता |
पीएम मोदी ने टोक्यो पैरालंपिक में शुक्रवार को रजत पदक जीतने वाले प्रवीण कुमार की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह उनकी कड़ी मेहनत और अद्वितीय समर्पण का नतीजा है।
अठारह वर्षीय कुमार ने पैरालंपिक में पदार्पण करते हुए 2.07 मीटर की कूद से एशियाई रिकार्ड के साथ दूसरा स्थान हासिल किया। वह ब्रिटेन के जोनाथन ब्रूम एडवर्ड्स के पीछे रहे जिन्होंने 2.10 मीटर की कूद से सत्र का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए स्वर्ण पदक अपने नाम किया।
मोदी ने ट्वीट कर कहा, ‘‘पैरालंपिक में रजत पदक जीतने वाले प्रवीण कुमार पर गर्व है. यह पदक उनकी कड़ी मेहनत और अद्वितीय समर्पण का नतीजा है. उन्हें बधाई. भविष्य के लिये उन्हें शुभकामनायें।’’
Proud of Praveen Kumar for winning the Silver medal at the #Paralympics. This medal is the result of his hard work and unparalleled dedication. Congratulations to him. Best wishes for his future endeavours. #Praise4Para
— Narendra Modi (@narendramodi) September 3, 2021
यह कुमार का व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन भी है और 2019 में खेल में आने के बाद पहला बड़ा पदक भी है। नोएडा के निवासी कुमार यहां भारतीय दल के सबसे युवा पदक विजेता भी बन गये हैं।
कांस्य पदक रियो खेलों के चैम्पियन पोलैंड के मासिज लेपियाटो के हासिल किया जिन्होंने 2.04 मीटर की कूद लगायी।
टी64 क्लास में वो एथलीट हिस्सा लेते हैं जिनका पैर किसी वजह से काटना पड़ा हो और ये कृत्रिम पैर के साथ खड़े होकर प्रतिस्पर्धा करते हैं।
कुमार टी44 क्लास के विकार में आते हैं लेकिन वह टी64 स्पर्धा में भी हिस्सा ले सकते हैं।
टी44 उन खिलाड़ियों के लिये है जिन्हें पैर में विकार हो, उनके पैर की लंबाई में अंतर हो, उनकी मांसपेशियों की क्षमता प्रभावित हो जिससे उनके पैर के मूवमेंट पर असर होता है।
कुमार का विकार जन्मजात है और यह उनके कूल्हे को बायें पैर से जोड़ने वाली हड्डियों को प्रभावित करता है।
इससे पहले कुमार ने अपने पदार्पण वर्ष में जूनियर पैरा विश्व चैम्पियनशिप 2019 में रजत पदक जीता था। वह इस समय टी44 क्लास की विश्व रैंकिंग में तीसरे नंबर पर हैं। पैरा खेलों के बारे में जानकारी मिलने के बाद उन्होंने हमेशा राष्ट्रीय कोच सत्यपाल सिंह से प्रशिक्षण लिया। बचपन में वह सक्षम खिलाड़ियों की ऊंची कूद स्पर्धा में हिस्सा लेते थे।
भारत का इन तोक्यो खेलों में प्रदर्शन सर्वश्रेष्ठ होने वाला है जिसमें देश ने अब तक दो स्वर्ण, छह रजत और तीन कांस्य पदक जीत लिये हैं।
कुमार (18) निशानेबाज अवनि लेखरा के बाद भारतीय दल के पदक जीतने वाले दूसरे युवा खिलाड़ी हैं। स्वर्ण पदक जीतने वाली लेखरा 19 साल की हैं।
ट्रैक एवं फील्ड स्पर्धा में भारत को अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद थी और पदकों की संख्या इसी के अनुरूप रही।
भारत के 11 में से आठ पदक एथलेटिक्स में ही आये हैं जिसमें एक स्वर्ण भी शामिल है जो पुरूषों की भाला फेंक स्पर्धा में सुमित अंतिल (एफ64) ने जीता।
भारत ने एथलेटिक्स में इनके अलावा अब तक पांच रजत और एक कांस्य पदक जीते हैं।
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