सिलक्यारा-बड़कोट सुरंग : सिलक्यारा सुरंग में लंबवत ‘ड्रिलिंग’ शुरू, अब तक हुई करीब 20 मीटर खुदाई

Last Updated 27 Nov 2023 06:09:32 AM IST

पिछले दो सप्ताह से निर्माणाधीन सिलक्यारा-बड़कोट सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए वैकल्पिक रास्ता तैयार करने के वास्ते रविवार को सुरंग के ऊपर से लंबवत ‘ड्रिलिंग’ शुरू की गयी और पहले दिन करीब 20 मीटर खुदाई कर ली गयी।


सिलक्यारा-बड़कोट सुरंग

उत्तराखंड में चारधाम मार्ग पर बन रही साढ़े चार किलोमीटर सुरंग का एक हिस्सा ढहने से फंसे श्रमिकों के बाहर आने को लेकर बढ़ रहे इंतजार के बीच शुरू की गयी लंबवत ‘ड्रिलिंग’ उन पांच विकल्पों में से एक है जिन पर कुछ दिन पहले काम शुरू किया गया था।

अधिकारियों ने यहां बताया कि क्षैतिज ड्रिलिंग कर रही अमेरिकी ऑगर मशीन के टूटने के एक दिन बाद लंबवत ‘ड्रिलिंग’ शुरू की गयी है।

उन्होंने बताया कि सुरंग में फंसे श्रमिकों तक पहुंचने के लिए कुल 86 मीटर लंबवत ड्रिलिंग की जाएगी और इसमें चार दिन का समय लगेगा। उनके अनुसार शाम तक 19.5 मीटर ड्रिलिंग कर ली गयी थी।

राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) के प्रबंध निदेशक महमूद अहमद ने सिलक्यारा में संवाददाताओं को बताया कि सतलुज जलविद्युत निगम द्वारा शुरू की गयी लंबवत ड्रिलिंग का कार्य काफी जोर-शोर से चल रहा है और अगर बिना किसी अड़चन के यह इसी तरह चलता रहा तो “हम इसे चार दिन में बृहस्पतिवार तक खत्म करने की उम्मीद कर सकते हैं।”

'एस्केप पैसेज' बनाने के लिए ‘ड्रिलिंग’ करके 700 मिमी पाइप मलबे के अंदर डाले जा रहे हैं। इससे कुछ दूरी पर, इससे पतले 200 मिमी व्यास के पाइप अंदर डाले जा रहे हैं जो 70 मीटर तक पहुंच चुके हैं।

सुरंग के सिलक्यारा छोर से अमेरिकी ऑगर मशीन के जरिए की गयी क्षैतिज ‘ड्रिलिंग’ में बार-बार व्यवधाान आने के बाद लंबवत ‘ड्रिलिंग’ के विकल्प को श्रमिकों तक पहुंचने के लिए चुना गया। सुरंग में अनुमानित 60 मीटर क्षेत्र में मलबा फैला है। करीब 25 टन वजनी ऑगर मशीन में ताजा अवरोध शुक्रवार शाम को आया जब उसके ब्लेड मलबे में फंस गए।

यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर बन रही सिलक्यारा सुरंग का एक हिस्सा 12 नवंबर को ढह गया था जिससे उसमें काम कर रहे श्रमिक फंस गए थे। उन्हें बाहर निकालने के लिए युद्ध स्तर पर कई एजेंसियों द्वारा बचाव अभियान चलाया जा रहा है।

बचाव कार्यों में सहयोग के लिए उत्तराखंड सरकार की ओर से नियुक्त नोडल अधिकारी नीरज खैरवाल ने बताया कि मलबे में फंसे ऑगर मशीन के हिस्सों को प्लाज्मा कटर और लेज़र कटर से काट कर निकालने का कार्य जारी है।

उन्होंने बताया कि शाम सात बजे की स्थिति के अनुसार ऑगर मशीन का केवल 8.15 मीटर हिस्सा ही बाहर निकाला जाना शेष रह गया है।

रविवार सुबह हैदराबाद से प्लाज्मा कटर हवाई रास्ते के जरिए सिलक्यारा पहुंचाया गया। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और मद्रास सैपर्स के इंजीनियरों की एक टीम भी सिलक्यारा पहुंची।

खैरवाल ने कहा, “ यह काम रविवार मध्यरात्रि या सोमवार सुबह तक पूरा हो सकता है। ”

एक बार ऑगर मशीन के हिस्से पूरी तरह से निकल जाएं, तो बचावकर्मी मैन्युल ड्रिलिंग के जरिए 10-12 मीटर शेष बचे मलबे को साफ करेंगे। छोटी सी जगह में चलाए जाने वाले अभियान में एक श्रमिक बिछाए गए पाइप के अंदर जाकर ड्रिलिंग करेगा जबकि दूसरा व्यक्ति मलबे को घिरनी के जरिए बाहर फेकेंगा। इस अभियान में काफी समय लगने की संभावना है।

इस बीच, अधिकारियों ने बताया कि अन्य विकल्पों पर भी काम चल रहा है। उन्होंने बताया कि सुरंग के बड़कोट छोर से भी ड्रिलिंग चल रही है और अब तक 10 मीटर ड्रिलिंग हो चुकी है। इस ओर से कुल 483 मीटर ड्रिलिंग की जानी है और इसमें 40 दिन भी लग सकते हैं।  

सिलक्यारा सुरंग परियोजना के निर्माण के शुरूआती चरण में बनाई जाने वाली 'एस्केप टनल' के अभाव के बारे में पूछे जाने पर अहमद ने कहा कि उन्होंने भी इस पहलू के बारे में सोचा है।

उन्होंने कहा,‘‘ इस सब की जांच के लिए एक समिति गठित की गयी है। लेकिन फिलहाल हमारी पहली प्राथमिकता फंसे श्रमिकों को जल्द से जल्द बाहर निकालना है। ”

एनएचआईडीसीएल इस परियोजना का निर्माण नवयुग इंजीनियरिंग लिमिटेड के जरिए कर रही है।

फंसे हुए श्रमिक सुरंग के तैयार दो किलोमीटर के तैयार हिस्से में हैं जहां उनतक छह इंच की पाइपलाइन के जरिए खाना,पानी, दवाइयां तथा अन्य जरूरी सामान भेजा जा रहा है।

इसी पाइपलाइन में एक संचार तंत्र भी स्थापित किया गया है जिसके जरिए अधिकारियों और बचावकर्मियों के साथ ही श्रमिकों के परिजन भी उनसे बात करते हैं।

उधर, दिल्ली में एनडीएमए के सदस्य लेफिट जनरल (रिटायर्ड) अता सैयद हसनैन ने मीडिया को बताया कि सर्वश्रेष्ठ विकल्प क्षैतिज ड्रिलिंग है जिसके तहत मलबे की 47 मीटर तक बोरिंग की जा चुकी है।

सुरंग के बाहर इंतजार कर रहे फंसे श्रमिकों के परिजनों की अपनों को लेकर बेचैनी बढ़ती जा रही है।

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी के एक खेतिहर मजदूर चौधरी ने कहा कि एक बार उनका पुत्र सुरंग से बाहर आ जाए तो वह उसे यहां फिर कभी काम नहीं करने देंगे। उनका पुत्र मंजीत उन 41 श्रमिकों में शामिल है जो 12 नवंबर से सुरंग में फंसा हुआ है।

प्रशासन ने श्रमिकों के परिजनों के लिए सुरंग के बाहर एक शिविर स्थापित किया है। उनकी प्रतिदिन सुरंग में फंसे श्रमिकों से बात कराई जाती है।

केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग राज्य मंत्री वी के सिंह ने रविवार को भी सिलक्यारा में घटनास्थल का दौरा किया और बचावकार्यों का जायजा लिया।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी सुरंग में फंसे चंपावत जिले के टनकपुर के रहने वाले पुष्कर सिंह ऐरी के घर जाकर उनके परिवार से भेंट की तथा उनका हौसला बढ़ाया। उन्होंने भरोसा दिलाया कि सभी श्रमिकों को जल्द सुरंग से बाहर निकाल लिया जाएगा।

आईएएनएस
उत्तरकाशी


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