उत्तराखंड फर्जी शिक्षक मामला : शिक्षकों के दस्तावेजों की जांच कराने के आदेश

Last Updated 05 Oct 2020 05:05:52 PM IST

उत्तराखंड के फर्जी शिक्षक प्रकरण में उच्च न्यायालय ने सख्त रूख अख्तियार करते हुए राज्य सरकार से प्रदेश में तैनात सभी शिक्षकों के दस्तावेजों की जांच तीन सप्ताह के अंदर करके प्रगति रिपोर्ट अदालत में पेश करने के निर्देश दिये हैं।


शिक्षकों के दस्तावेजों की जांच कराने के आदेश

फर्जी शिक्षक प्रकरण में अदालत का रूख शुरू से सख्त रहा है जबकि सरकार इसे हल्के में लेती रही है लेकिन अब सरकार की मुसीबतें बढ़ गई है। न्यायालय सरकार से पूरे प्रकरण में उचित रिपोर्ट की मांग करती रही और आखिरकार विगत 30 सितम्बर को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रवि कुमार मलिमथ व आरसी खुल्बे की युगलपीठ ने सख्ती दिखाते हुए सरकार को निर्देश दिये कि वह प्रदेश में तैनात सभी शिक्षकों के दस्तावेजों की जांच निश्चित समयावधि में कराये।

सरकार की ओर से इस सबके लिये अदालत से डेढ़ साल की अवधि की मांग की गयी। सरकार की ओर से कहा गया कि प्राइमरी शिक्षा के तहत प्रदेश में कुल 33065 शिक्षक तैनात हैं। इनमें प्रधानाचार्य, सहायक अध्यापकों के अलावा 766 शिक्षक मिा भी शामिल हैं। इन सभी शिक्षकों की हाईस्कूल, इंटरमीडिएट व स्नातक के साथ साथ बीएड, बीटीसी, डीएलएड, सीपीएड व उर्दू शिक्षकों के दस्तावेजों की जांच करानी होगी। इस प्रकार कुल मिलाकर 132260 दस्तावेजों की जांच करानी होगी। इसके लिये धन की आवश्यकता भी होगी। सरकार की ओर से इसके लिये डेढ़ साल का वक्त मांगा गया।

सरकार के इस जवाब से अदालत संतुष्ट नजर नहीं आयी और सरकार को निर्देशित किया कि प्रदेश में तीन सप्ताह के अंदर शिक्षकों के दस्तावेजों की जांच करें और प्रगति रिपोर्ट अदालत में पेश करें। अदालत ने इस प्रकरण की सुनवाई के लिये 2 नवम्बर की तिथि मुकर्रर कर दी है।  

इससे पहले सरकार अदालत को बता चुकी है कि प्रदेश में 87 फर्जी शिक्षकों के मामले सामने आ चुके हैं। ये शिक्षक फर्जी दस्तावेजों के बल पर शिक्षक की नौकरी हथिया चुके हैं। इनमें सरकार की ओर से 61 के खिलाफ कार्यवाही की जा चुकी है जबकि शेष के खिलाफ कार्यवाही जारी है।

सरकार की ओर से अदालत को यह भी बताया गया कि तीन शिक्षकों के दस्तावेज एसआईटी जांच में फर्जी पाये गये थे लेकिन विभागीय जांच के बाद उन्हें क्लीन चिट दे दी गयी। अदालत ने इस प्रकरण को गंभीरता से लिया है और सरकार से पूछा है कि क्लीन चिट देने वाले अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्यवाही की गयी।

हल्द्वानी के दमुवाढूंगा स्थित स्टूडेंट गार्जियन वेलफेयर कमेटी की ओर से कहा गया कि सरकार इस पूरे प्रकरण में लापरवाही बरत रही है और लीपापोती करना  चाहती है। याचिकाकर्ता की ओर से यह भी कहा गया कि प्रदेश में फर्जी शिक्षकों की संख्या हजारों में है।

वार्ता
नैनीताल


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