सेवा संबंधी विषयों को सोशल मीडिया में उठाने पर उत्तराखंड पुलिस ने लगाई पाबंदी

Last Updated 13 Jan 2017 08:12:23 PM IST

सीमा सुरक्षा बल के जवान तेज बहादुर यादव द्वारा अपनी आवाज पहुंचाने के लिये फेसबुक का सहारा लिये जाने के बाद आज उत्तराखंड पुलिस ने अपने कर्मियों को सेवा संबंधी किसी भी विषय के लिये सोशल मीडिया का उपयोग करने पर पाबंदी लगाते हुए इसका उल्लंघन करने पर दंडात्मक कार्रवाई की चेतावनी दी.


डीजीपी एम ए गणपति (फाइल फोटो)

पुलिस महानिदेशक एम ए गणपति के हस्ताक्षर से जारी इस परिपत्र में स्पष्ट कहा गया है कि पुलिसकर्मी सेवा संबंधी किसी भी विषय पर अपनी बात विभागीय प्रक्रिया के माध्यम से निर्धारित समय पर अपने जिले के पुलिस अधीक्षक या अपनी बटालियन के कमांडांट के सामने या पुलिस उपमहानिरीक्षक या पुलिस महानिदेशक के सामने रख सकते हैं और अपनी समस्या से अवगत करा सकते हैं.

परिपत्र के अनुसार, विशेष परिस्थितियों में कोई कर्मी अपने अधिकारियों को सीधे व्हाटसएप या एसएमएस से भी अवगत करा सकता है जिस पर संबंधित अधिकारी प्राथमिकता के आधार पर  समस्या का निराकरण करायेंगे.

सभी जिलों, बटालियनों तथा इकाइयों में पुलिस उपाधीक्षक स्तर के अधिकारी को वेलफेयर अधिकारी नामित किया जाये जिनसे पुलिसकर्मी अपनी शिकायत या समस्या के संबंध में संपर्क कर सकेंगे. वेलफेयर अधिकारी इन समस्याओं तथा शिकायतों का निराकरण करेंगे तथा इस विषय में अपने पुलिस अधीक्षक या बटालियन के कमांडांट को बतायेंगे.

परिपत्र में सोशल मीडिया के उपयोग को केवल प्रोफेशनल कार्यों तथा विभाग की दक्षता बढ़ाने तक सीमित रखते हुए कहा गया है कि किसी भी कर्मी द्वारा राज्य अथवा केंद्र सरकार की आलोचना करने वाला, धर्म व राजनीति के आधार पर दुर्भावना करने वाला या पुलिस विभाग की छवि को क्षति पहुंचाने वाला संदेश प्रसारित या अग्रसारित करना पूर्णत: प्रतिबंधित होगा और इसके उल्लंघन पर दंडात्मक कार्रवाई की जायेगी.

इसमें यह भी कहा गया है कि पुलिसकर्मियों की आवासीय व्यवस्थाओं में लगातार सुधार, उनके सेवा सबंधी प्रकरणों का समयबद्व निराकरण तथा कर्मियों तथा उनके परिजनों के कल्याण हेतु पुलिस मुख्यालय अपने स्तर से सतत प्रयास करता रहेगा.

भाषा


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