पांच साल में बदलेंगे किसानों की तकदीर

Last Updated 26 Feb 2017 05:27:53 AM IST

केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने कहा कि किसान अन्नदाता और अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सत्ता संभालते ही किसानों की उन्नति को शीर्ष प्राथमिकता में लिया है.


केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह (file photo)

खाद की समस्या खत्म की. पांच साल में हम कम लागत में अधिक उत्पादन और सर्वाधिक मुनाफा देकर किसानों की तकदीर बदलने को प्रतिबद्ध हैं. कर्जमाफी, ब्याजरहित कर्ज के अलावा केंद्र सरकार सौ से अधिक योजनाएं चला रही है लेकिन किसानों के प्रति उप्र सरकार की उपेक्षाभाव इसमें आड़े आ रही है.

केन्द्र ने किसानहित में सात लाख करोड़ Rs दिए. आपदा राहत में अबतक की सर्वाधिक रकम दी लेकिन कोई हिसाब नहीं. प्रदेश सरकार ने धन का बंदरबांट कर लिया. योजनाओं का पूरा लाभ किसानों तक पहुंचे, इसके लिए यूपी में भाजपा की बहुमत वाली सरकार जरूरी है. जनता भी इस हकीकत से भलीभांति वाकिफ है. चार चरणों के मतदान और तीन फेज के रूझान से यह स्पष्ट हो गया है कि  हवा भाजपा के पक्ष में है. भाजपा अकेले दम पर उप्र में सरकार बनाने जा रही है.

चुनावी दौरे पर यहां आए श्री सिंह ने एक भेंट में आंकड़ों के जरिए भारत सरकार की किसानहित की योजनाओं का सिलसिलेवार जिक्र किया. उनका कहना था कि केंद्र की भाजपा सरकार ने पहली बार किसानों का दर्द समझा. राज्य आपदा अनुक्रिया कोष से उप्र को वर्ष 2010 से 15 तक 1597.14 करोड़ ही मिले थे. जबकि वर्ष 2015-20 के लिए भाजपा ने दोगुने से अधिक 3729 करोड़ आवंटित किए है.  राष्ट्रीय आपदा अनुक्रिया कोष में वर्ष 2010 से 15 तक (पांच साल ) में महज 270.55 करोड़ थे.  भाजपा सरकार ने इसमें डेढ़ सौ गुना वृद्धि करते हुए  2015-16 के दो साल में ही रिकार्ड 4883.45 करोड़ दिए. इतनी रकम मिलने के बावजूद यूपी के किसानों तक रकम नहीं पहुंची.

ऐसी सरकार को भगवान भी माफ नहीं करेगा. इतना ही नहीं मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन और मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना के तहत पिछले तीन सालों में 4512.13 लाख Rs जारी हुए लेकिन प्रदेश सरकार अभी तक 3876.42 लाख करोड़ Rs खर्च ही नहीं कर पायी. यही स्थिति परंपरागत कृषि विकास योजना का है. केंद्र ने 2052.20 लाख Rs निर्गत किए. इनमें से 976.50 लाख Rs की राशि प्रदेश सरकार के पास खर्च करने को बची है. इस धनराशि का उपयोगिता प्रमाणपत्र भी केंद्र को नहीं मिला है. यही स्थिति केंद्र द्वारा संचालित अन्य योजनाओं की है.

सिंचाई, संसाधन मुहैया कराने के लिए दिए गए धन का प्रदेश सरकार ने बंदरबांट कर लिया. पहली बार कोई सरकार किसानों की आय बढ़ाने के लिए रकबा और उपज बढ़ाने की योजनाएं चला रही है. 588 करोड़ की लागत से गोकुल मिशन योजना और नेशनल ब्रीडिंग सेंटर के तहत कार्य जारी है. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से किसानों को सुरक्षा प्रदान की गई है.

सपा, बसपा और कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कृषि मंत्री ने कहा कि सपा पहले परिवार की पार्टी थी जो सिमट कर भइया-भाभी की पार्टी बन चुकी है. मायावती दलित की नहीं दौलत की बेटी बन चुकी हैं. सपा-कांग्रेस गठबंधन अब उप्र को लूटने पर आमादा है.



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