अखिलेश यादव बोले, खुद पर लगी धाराओं का भी जिक्र करें अमित शाह और केशव मौर्य
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शनिवार को भाजपा अध्यक्ष अमित शाह पर हमला करते हुए कहा कि जिन लोगों ने कानून की धज्जियां उड़ायीं, वे ही आज सूबे की कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रहे हैं.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव (फाइल फोटो) |
उन्होंने कहा, भ्रष्टाचार की बात करने वाली बसपा मुखिया मायावती के ऐसे बोल खुद में एक अजूबा हैं.
अखिलेश ने एक निजी समाचार चैनल के कार्यक्रम ‘चुनाव मंच’ में कानून-व्यवस्था के मोर्चे पर अपनी सरकार की विफलता के विपक्षियों के आरोपों से जुड़े सवाल पर कहा ‘‘भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष (अमित शाह) को देख लीजिये, उन्होंने कानून-व्यवस्था पर कितनी कृपा की. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष (केशव मौर्या) भी ऐसे ही हैं. वे खुद पर पर लगी धाराओं के बारे में लोगों को क्यों नहीं बताते. जिन्होंने खुद कानून-व्यवस्था की धज्जियां उड़ायी हों, वे ही कानून-व्यवस्था की बात कर रहे हैं.’’
प्रदेश में गुंडाराज होने के बसपा और भाजपा के आरोपों को गलत बताते हुए उन्होंने कहा कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ समेत भाजपा शासित तमाम राज्यों के आंकड़े भी सामने रखें. केन्द्र में भाजपा की सरकार है. उसने नीति आयोग बनने के बाद पुलिस आधुनिकीकरण के लिये फंड खत्म कर दिया. प्रदेश में पुलिस में सबसे ज्यादा भर्ती और प्रोन्नति किसी ने की है तो वह सपा ही है.
बसपा अध्यक्ष मायावती द्वारा प्रदेश सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाये जाने के बारे में अखिलेश ने कहा ‘‘मैं तो मानता हूं कि ताजमहल अजूबा है. अगर पत्थर वाली सरकार की नेता (मायावती) भ्रष्टाचार के बारे में कहें तो वह भी अजूबा है.’’
अपने पिता मुलायम सिंह यादव को सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटाये जाने के सवाल पर अखिलेश ने कहा कि उन्होंने अपने पिता के साथ विश्वासघात नहीं किया. सपा आज भी नेताजी (मुलायम) की पार्टी है. वह सर्वोपरि हैं. पिता पुत्र का सम्बन्ध बदल नहीं सकता. उन्होंने जो भी किया वह सपा को तथा उसकी विचारधारा को बचाने के लिये जरूरी था.
सपा अध्यक्ष ने उम्मीद जतायी कि नेताजी सपा-कांग्रेस गठबंधन के प्रत्याशियों के पक्ष में प्रचार करेंगे.
कांग्रेस के साथ गठबंधन का बचाव करते हुए उन्होंने कहा कि सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने कांग्रेस की नीतियों का विरोध किया था, लेकिन उस समय केवल कांग्रेस पार्टी ही थी. आज अन्य दल वजूद में आ चुके हैं जो समाज में जहर घोलते हैं. उन ताकतों को रोकने के लिये उन्होंने कांग्रेस से गठबंधन किया है.
अखिलेश ने कहा, ‘‘इस समझौते से कांग्रेस को भी फायदा होगा और हमारी सरकार भी बनेगी. अब हम विरोधियों के भाषण का केन्द्र बन गये हैं. उन्हें डर है कि सपा और कांग्रेस मिलकर सरकार बना लेंगे. गठबंधन के लिये कांग्रेस और सपा दोनों ने ही पहल की थी. इसके लिये कोई मजबूरी नहीं थी.’’
वर्ष 2019 में प्रधानमंत्री पद के अपने दावे के बारे में पूछे गये एक सवाल पर उन्होंने स्पष्ट किया ‘‘मैं इतना बता दूं कि मेरा ऐसा कोई बड़ा सपना नहीं कि मैं प्रधानमंत्री बनूं. मैं उत्तर प्रदेश में ही खुश हूं. जो दिल्ली से दूर रहता है, वह ज्यादा खुश रहता है.’’
मायावती मुसलमानों से सपा-कांग्रेस गठबंधन को वोट देकर अपना मत बेकार नहीं करने की अपील कर रही हैं, इस संबंध में सवाल किए जाने पर अखिलेश ने कहा ‘‘इसी से समझ लें कि प्रदेश में किसकी सरकार बनने जा रही है. आरोप लगाना आसान है. मैं चाहता हूं कि विकास पर बहस हो. मुजफ्फरनगर में जो कुछ हुआ, उसका मुझे बहुत अफसोस है. जब दंगे हुए, बसपा के लोग उस वक्त कहां थे. उनका नेतृत्व क्या कर रहा था. उनकी सरकार में भी दंगे हुए हैं. हमने जिम्मेदारी निभायी, जितनी कड़ी कार्रवाई हो सकती थी, वह की.’’
अखिलेश ने स्पष्ट किया कि बसपा और अन्य दलों की नीयत केवल मुसलमानों से चुनावी लाभ लेने की ही है. उनकी सरकार ने अल्पसंख्यकों को अपनी तमाम योजनाओं में उनकी आबादी के हिसाब से लाभ दिया है.
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