उप्र: हिंदू संगठनों ने फतेहपुर में मकबरे को मंदिर बताकर प्रदर्शन किया, सुरक्षा-व्यवस्था बढ़ाई गयी

Last Updated 11 Aug 2025 07:28:00 PM IST

उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में सोमवार सुबह हिंदू संगठनों के सदस्यों ने एक मकबरे को मंदिर बताते हुए विरोध प्रदर्शन किया और प्रशासन से परिसर में प्रार्थना करने की अनुमति मांगी।


एक मकबरे को मंदिर बताते हुए विरोध प्रदर्शन

हिंदू संगठनों ने दावा किया कि नवाब अबू समद का मकबरा ‘ठाकुर जी’ के एक प्राचीन मंदिर को तोड़कर बनाया गया था।

हिंदू संगठनों के विरोध प्रदर्शन के बाद फतेहपुर जिले में स्थित सदियों पुराने इस ढांचे के आसपास सुरक्षा-व्यवस्था के इंतजाम कड़े कर दिए गए।

सोशल मीडिया पर प्रसारित वीडियो में हिंदू संगठनों के सदस्यों को कथित तौर पर हंगामा करते हुए, ढांचे के कुछ हिस्सों में तोड़फोड़ करते हुए और भगवा झंडा फहराते हुए देखा जा सकता है।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की जिला इकाई के अध्यक्ष मुखलाल पाल ने जिला प्रशासन को चेतावनी दी थी कि वह हिंदू संगठनों के साथ मिलकर 11 अगस्त को उस जगह पर पूजा-अर्चना करेंगे।

उन्होंने दावा किया था कि सदियों पुराना यह ढांचा एक मंदिर था क्योंकि समाधि के अंदर एक ‘शिवलिंग’ स्थित है।

पाल ने दावा किया कि यह स्थल ‘ठाकुर जी’ का मंदिर था, जिसे बाद में आक्रमणकारियों ने समाधि में बदल दिया था। 

भाजपा जिला अध्यक्ष द्वारा पूजा-अर्चना के आह्वान के बीच जिला प्रशासन ने परिसर को सील कर दिया, अवरोधक लगा दिए और परिसर में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया।

पुलिस अधीक्षक (फतेहपुर) अनूप कुमार सिंह ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, “प्रशासन मामले को गंभीरता से ले रहा है और घटनास्थल व उसके आसपास पर्याप्त पुलिस बल तैनात किया गया है। हम शांति सुनिश्चित करने के लिए कड़ी निगरानी रख रहे हैं। किसी को भी कानून अपने हाथ में लेने की इजाजत नहीं दी जाएगी।”

उन्होंने बताया कि जिला मजिस्ट्रेट भी अपने स्तर पर इस मामले पर नजर रख रहे हैं।

स्थानीय धार्मिक नेताओं और सामुदायिक समूहों का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था ‘मठ-मंदिर संरक्षण संघर्ष समिति’ ने जिला मजिस्ट्रेट रवींद्र सिंह को एक ज्ञापन सौंपकर मामले में हस्तक्षेप की मांग की।

समिति ने ज्ञापन में आरोप लगाया कि मंदिर ‘बेहद जर्जर’ स्थिति में है, जिससे श्रद्धालुओं की सुरक्षा और शहर की सांस्कृतिक विरासत दोनों को खतरा है।

वहीं राष्ट्रीय उलेमा काउंसिल ने भी जिला मजिस्ट्रेट को एक पत्र भेजकर प्रशासन से मकबरे के ऐतिहासिक स्वरूप से छेड़छाड़ न करने का आग्रह किया।

इस बीच, मकबरे के कार्यवाहक (मुतवल्ली) मोहम्मद नफीस ने बताया कि यह इमारत लगभग 500 साल पुरानी है और इसे बादशाह अकबर के पोते ने बनवाया था।

उन्होंने बताया कि सदियों पुराने इस स्थल पर अबू मोहम्मद और अबू समद की कब्र हैं।

एक अधिकारी ने बताया कि तनाव को देखते हुए कोतवाली, राधानगर, मालवान और हुसैनगंज सहित कई थानों से भारी पुलिस बल बुलाया गया है। 

भाषा
कानपुर


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