असद के एन्काउंटर के बाद मुख्तार अंसारी और हाजी इकबाल की धड़कने बढ़ीं!

Last Updated 14 Apr 2023 02:54:46 PM IST

अतीक अहमद का तीसरा बेटा असद पुलिस मुठभेड़ में मारा गया। कभी दूसरे लोगों का खून बहा कर हमेशा मुस्कुराते रहने वाला अतीक,आज अपने बेटे की मौत पर रो रहा है। उसका आंसू पोछने वाला कोई नहीं है। अतीक के बेटे का एनकाउंटर होने के बाद उत्तर प्रदेश की राजनीतिक गलियारों में एक चर्चा होने लगी है कि क्या उत्तर प्रदेश के सभी माफियाओं का धीरे-धीरे अंत हो जाएगा।


मुख्तार अंसारी और हाजी इकबाल

चर्चा इस बात की भी हो रही है कि क्या बाकी धर्मो के माफियाओं को भी मार गिराया जाएगा। अन्य धर्मों के माफियाओं के खिलाफ उत्तर प्रदेश की वर्तमान सरकार या उत्तर प्रदेश की पुलिस ऐसे ही रुख अख्तियार करेगी?

उत्तर प्रदेश में पूरब से लेकर पश्चिम तक ,एक से बढ़कर एक माफिया पिछले तीन-चार दशकों से सक्रिय थे या हैं। इन सभी माफियाओं का अपने-अपने क्षेत्रों में साम्राज्य स्थापित था। इन माफियाओं में हर धर्मों के माफिया शामिल हैं। जहां तक मुस्लिम समुदाय से जुड़े माफियाओं की बात करें, तो तीन नाम खुलकर सामने आते हैं। इलाहाबाद से अतीक अहमद, मऊ और गाजीपुर से मुख्तार अंसारी एवम सहारनपुर से हाजी इकबाल। हालांकि रामपुर से सांसद रहे आजम खान की गिनती भले ही माफियाओं में ना होती हो, लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से उनका भी दबदबा रामपुर के आसपास के क्षेत्रों में कभी ख़ूब रहा।

रामपुर के सांसद आजम खान हालांकि संपन्न परिवार से आते हैं। जबकि गाजीपुर का विधायक रहा मुख्तार अंसारी भी एक संपन्न परिवार से ताल्लुक रखता है, लेकिन सहारनपुर का इकबाल और इलाहाबाद के अतीक की पारिवारिक स्थिति अच्छी नहीं थी। इन दोनो ने अपने जीवन की शुरुआत बहुत ही छोटे स्तर से की थी। उस समय दोनों ही छोटा-मोटा काम करके अपना जीवन चलाते थे। अतीक अहमद जहां बचपन में तांगा चलाता था, वहीं सहारनपुर का इकबाल मधुमक्खी के छत्ते काटकर बेचा करता था। इकबाल जंगलों से कत्थे की  तस्करी करता था। इन दोनों को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त हुआ। बाद में नतीजा यह हुआ कि इकबाल खनन माफिया बन गया।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में उसकी मर्जी के बगैर कहीं भी खनन नहीं होता था। इकबाल, करोड़पति से धीरे-धीरे अरबपति हो गया। एक समय ऐसा भी था, जब बड़े-बड़े अधिकारी, चाहें वह पुलिस के हों या  प्रशासन के, उसके सामने खड़े होने की हिम्मत भी नहीं जुटा पाते थे। उसने सहारनपुर के किसानों की हजारों बीघा जमीन ओने-पौने दामों में खरीद कर 350 एकड़ में यूनिवर्सिटी का निर्माण कराया था। 2012 में बनी उस यूनिवर्सिटी का नाम ग्लोकल यूनिवर्सिटी है। ऐसा माना जाता है कि यह यूनिवर्सिटी एशिया की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी है। इकबाल पर हत्या और अपहरण जैसे कम ही मामले दर्ज हुए हैं, लेकिन गलत तरीके से पैसे कमाने में वह बहुत माहिर है। जबकि अतीक अहमद न सिर्फ हत्या में शामिल रहा बल्कि उसके ऊपर जबरदस्ती जमीन कब्जाने और लोगों की हत्या करने का आरोप है।

इकबाल अंसारी के चारों बेटे आज जेल में बंद है। अतीक अहमद के भी दो बेटे जेल में बंद है। जबकि उसके दो नाबालिग बेटे बाल सुधार गृह आश्रम में हैं। अतीक की पत्नी फरार है। गाजीपुर के मुख्तार अंसारी पर शिकंजा कसता जा रहा है। आयकर विभाग ने उसकी 127 करोड़ों की बेनामी संपत्तियों का पता लगा लिया है, जिस पर या तो बुलडोजर चलेगा या आयकर विभाग उसे अपने कब्जे में लेगा। अतीक अहमद के बेटे असद के एनकाउंटर के बाद प्रदेश की जनता के मन में यह सवाल उठ रहा है कि क्या ऐसा ही हश्र मुख्तार अंसारी और इकबाल एवं उसके बेटों के साथ होगा। सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या उत्तर प्रदेश की पुलिस, मुस्लिम के अलावा अन्य धर्मों के जो तथाकथित गुंडे और माफिया हैं उनके खिलाफ कुछ ऐसी ही कार्रवाई होगी? साथ ही साथ जेल में बंद मुख्तार अंसारी और पुलिस से भागता फिर रहा, हाजी इकबाल की धड़कने जरूर बढ़ रहीं होंगी।
 

शंकर जी विश्वकर्मा
नई दिल्ली


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