कानपुर में आग में जिंदा जलीं मां-बेटी, पति गंभीर, जमीन से कब्जा हटाने गई थी प्रशासनिक टीम, अफसरों के सामने झोपड़ी में लगी आग
कानपुर में रूरा थाना क्षेत्र के मंडौली गांव में सोमवार को ग्राम समाज की भूमि पर कब्जा हटवाने तहसील प्रशासन पहुंचा तो वहां कब्जाधारकों ने विरोध किया।
![]() कानपुर देहात : आग में जिंदा जलीं मां-बेटी, पति गंभीर |
मामला इतना बिगड़ गया कि झोपड़ी में मौजूद मां, बेटी की जिंदा आग से जलकर मौत हो गयी, वहीं पति को अधजली हालत में उपचार के लिए भेजा गया। मृतका के बेटों का आरोप है कि तहसील प्रशासन की शह पर रूरा पुलिस ने झोपड़ी में जबरन आग लगा दी। जिससे मां और बहन जिंदा जल गयी। पीड़ित ने कहा कि झोपड़ी में बंधी 25 बकरियां भी जल गई। गांव पहुंची डीएम नेहा जैन व पुलिस अधीक्षक बीबीजीटीएस मूर्ति को ग्रामीणों का भारी विरोध झेलना पड़ा। घटना की सूचना पर आईजी जोन व डीआईजी भी मौके पर पहुंचे। ग्रामीणों के जबरदस्त आक्रोश को देखते हुए राज्यमंत्री प्रतिभा शुक्ला ने पीड़ित परिवार को सरकार की तरफ से हर संभव मदद व न्याय का भरोसा दिलाया।
रूरा थाना क्षेत्र के मंडौली गांव के बाहर पड़ी ग्राम समाज की 3 बिस्वा भूमि पर कृष्ण गोपाल दीक्षित (55) कई वर्ष पूर्व एक कमरा व बाउंड्री बनाकर अपनी पत्नी प्रमिला दीक्षित (50), पुत्री नेहा दीक्षित (22) व बेटे शिवम व विकास के साथ रहने लगे थे। परिवार के ही अशोक दीक्षित को यह बात नागवार गुजर रही थी, तब से लगातार अवैध कब्जा हटवाने की शिकायत करने लगे थे। बताया जाता है कि सत्तापक्ष के एक असरदार नेता के कहने पर 14 जनवरी को मैथा एसडीएम ज्ञानेश्वर प्रसाद के आदेश पर लेखपाल अशोक चौहान ने राजस्व टीम लेकर पुलिस की मदद से कब्जा बुलडोजर से ढहा दिया था। जिसके बाद पीड़ित पक्ष ने जिलाधिकारी नेहा जैन के आवास पर धरना प्रदर्शन भी किया था कि बिना किसी नोटिस व सूचना के तहसील प्रशासन ने मेरा घर ढहा दिया। अब हम लोग खुले आसमान के नीचे रहने को विवश हैं।
जिस पर कोई ठोस कार्रवाई न होने से पीड़ित थक हारकर बैरंग वापस लौट आया था। पीड़ित फिर से झोपड़ी डालकर उसी स्थान पर रहने लगे थे, जिसकी पुन: शिकायत की गई। गंभीर मामलों पर खामोश रहने वाला तहसील प्रशासन संजीदा हो गया और आनन-फानन में एसडीएम ज्ञानेर प्रसाद ने सोमवार को लेखपाल अशोक चौहान, राजस्व टीम व रूरा पुलिस को लेकर मौका मुआयना किया। ग्रामीणों ने बताया कि झोपड़ी डालकर रह रहे दीक्षित परिवार को अपमानित करने के बाद पुलिस झोपड़ी को गिराने लगी, जिसका परिवार ने विरोध किया।
नौबत हाथापाई तक आई और पुलिस पर आरोप है कि उसने जबरन झोपड़ी में आग लगा दी। जिससे झोपड़ी के अंदर पहले से मौजूद मां प्रमिला दीक्षित और बेटी नेहा दीक्षित उसी में फंस गई और कुछ ही पल में आग से जलकर उनकी मौत हो गयी। पत्नी और बेटी को बचाने दौड़े कृष्ण गोपाल दीक्षित भी बुरी तरह से झुलस गये। चीख पुकार और आग की लपटे देख दौड़े ग्रामीणों को देखकर एसडीएम ज्ञानेश्वर प्रसाद व पुलिस उल्टे पांव भागे। लेखपाल अशोक चौहान ग्रामीणों की पकड़ में आ गये जिनकी ग्रामीणों ने पिटाई कर दी। मौका पाकर लेखपाल भी पैदल ही भाग निकले।
बताया जाता है कि उनकी मोटरसाइकिल घटनास्थल पर ही छूट गई। घटना के बाद ग्रामीणों में जबरदस्त आक्रोश हैं। सूचना पर घटनास्थल पर पहुंचीं डीएम नेहा जैन व पुलिस अधीक्षक को ग्रामीणों का भारी विरोध झेलना पड़ा। सूचना पर आईजी जोन व डीआईजी भी मौके पर पहुंचे। वहीं राज्यमंत्री प्रतिभा शुक्ला ने पीड़ित परिवार को सरकार की तरफ से हर संभव मदद व न्याय दिलाने का भरोसा दिलाया है। खबर लिखे जाने तक ग्रामीणों ने शव नहीं उठने दिये थे। उनका कहना था न्याय मिलने के बाद ही शव उठने देंगे।
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