कानपुर हिंसा में PFI का हाथ, रची गई थी सुनियोजित साजिश, ATS व SIT ने तीन सदस्यों को किया गिरफ्तार

Last Updated 08 Jun 2022 02:35:18 AM IST

परेड नई सड़क हिंसा में पीएफआई का हाथ होने की पुष्टि हो गई है। जांच एजेंसियों ने इस संगठन से जुड़े तीन लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा है, जबकि एक फरार हो गया है। अन्य सदस्यों की भी जानकारी जुटायी जा रही है।


कानपुर हिंसा (फाइल फोटो)

इस गिरफ्तारी से यह स्पष्ट हो गया है कि हिंसा की सुनियोजित साजिश रची गई थी। अब तक की जांच में सामने आया है कि हिंसा में कट्टर धर्मावलंबी और स्लीपिंग माडय़ूल दोनों सक्रिय थे। एटीएस और एसआईटी पीएफआई के भूमिगत सदस्यों की तलाश में छापेमारी कर रही हैं। कई संदिग्धों के फोन नंबर सर्विलांस पर लगाए गए हैं।

बीते तीन जून को परेड व नई सड़क क्षेत्र में हुई हिंसा के बाद जांच एजेंसियों का शिंकजा दहशतगर्दों पर कसता जा रहा है। एटीएस (आतंकवाद निरोधक दस्ता) की मदद से एसआईटी ने केरल के चरमपंथी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के तीन सक्रिय सदस्यों को सोमवार को गिरफ्तार किया है। उनकी पहचान सैफुल्लाह पुत्र हबीबुर हसन, मोहम्मद नसीम खान और उमर पुत्र मोईनुद्दीन के रूप में हुई है। पुलिस ने तीनों को जेल भेज दिया है और अब इनकी रिमांड लेने की तैयारी कर रही है। जांच एजेंसियां इनसे जुड़े स्लीपिंग माडय़ूल को ध्वस्त करने की तैयारी में जुटी हैं।

आसपास के जिलों में भी उपद्रव की थी साजिश

जांच एजेंसियों के मुताबिक हिंसा भड़काने के लिए पीएफआई के सक्रिय सदस्यों और स्लीपिंग माडय़ूल की अहम भूमिका सामने आई है। हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में स्लीपिंग माडय़ूल के रूप में काम कर रहे युवाओं को दहशतगर्दों ने चुना था, जिन्होंने इलाके की पूरी मैपिंग अपने फोन पर सुरक्षित कर ली थी कि कब, कैसे और कहां से पथराव, फायरिंग व पेट्रोल बम फेंकना है। उसी हिसाब से वह तैयार हुए थे। मगर हालात ज्यादा बिगड़ने से पहले ही स्थानीय पुलिस ने उन्हें काबू कर लिया, अन्यथा दहशतगर्दों की साजिश न सिर्फ कानपुर नगर बल्कि आसपास के जिलों में भी उपद्रव कराने की थी।

तीन जून को नगर में थे वीवीआईपी

सूत्रों के मुताबिक दहशतगर्दों ने तीन जून का दिन इसलिए चुना था कि उस दिन कानपुर नगर में वीवीआईपी मूवमेंट था। देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, राज्यपाल और कई अन्य वीवीआईपी नगर और कानपुर देहात में थे। पुलिस की तत्परता और घेरेबंदी के कारण शरारती तत्व अपने नापाक मंसूबों में कामयाब नहीं हो सके। जांच में यह भी सामने आया है कि पीएफआई के जिन सक्रिय सदस्यों को पुलिस ने जेल भेजा है, उनके नाम 2019 में बाबूपुरवा और अनवरगंज में सीएए/एनआरसी को लेकर हुई हिंसा में भी सामने आये थे और रिपोर्ट भी दर्ज हुई थी। तब पुलिस अधिकारियों ने साम्प्रदायिक माहौल को बिगाड़ने वाले हजारों उपद्रवियों के खिलाफ रिपोर्ट भी दर्ज की थी, लेकिन मजबूत पैरवी न होने के कारण वह जेल से छूट गए और फिर से जहर उगलना शुरू कर दिया। पुलिस सूत्रों के मुताबिक पीएफआई का एक सदस्य बीमार चल रहा है और एक अन्य सदस्य फरार है, जिसकी तलाश में टीमों को रवाना कर दिया गया है। इसके साथ ही जांच एजेंसियों ने पीएफआई के सदस्यों से जुड़े लोगों की भी जांच शुरू कर दी है।

विपिन गुप्ता/सहारा न्यूज ब्यूरो
कानपुर


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