धर्मांतरण पर पहले का निर्णय अच्छा कानून नहीं था: इलाहाबाद HC

Last Updated 24 Nov 2020 02:48:53 PM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने पिछले फैसले को रद्द कर दिया है जिसमें उसने 'सिर्फ शादी के उद्देश्य से' धर्म परिवर्तन को अस्वीकार्य माना था।


(प्रतीकात्मक तस्वीर)

अदालत ने कहा कि अनिवार्य रूप से यह मायने नहीं रखता कि कोई धर्मांतरण वैध है या नहीं। एक साथ रहने के लिए दो बालिगों के अधिकार को राज्य या अन्य द्वारा नहीं छीना जा सकता है।

कोर्ट ने कहा, "ऐसे व्यक्ति की पसंद की अवहेलना करना जो बालिग उम्र का है, न केवल एक बालिग व्यक्ति की पसंद की स्वतंत्रता के लिए विरोधी होगा, बल्कि विविधता में एकता की अवधारणा के लिए भी खतरा होगा।"

कोर्ट ने कहा, जाति, पंथ या धर्म से परे एक साथी चुनने का अधिकार, जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के लिए संवैधानिक अधिकार के लिए स्वभाविक है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि शादी के उद्देश्य के लिए धर्मांतरण पर आपत्ति जताने वाले दो पिछले फैसले उचित नहीं थे।

दो-न्यायाधीश पीठ द्वारा निर्णय 11 नवंबर को दिया गया था लेकिन सोमवार को सार्वजनिक किया गया।

निर्णय अब उत्तर प्रदेश सरकार के लिए एक कानूनी समस्या पैदा कर सकता है, जो कि दो पूर्व फैसलों के आधार पर अल-अलग धर्म के बीच संबंधों को रेगुलेट करने के लिए एक कानून की योजना बना रही है।

जस्टिस पंकज नकवी और जस्टिस विवेक अग्रवाल की पीठ ने एक मुस्लिम व्यक्ति और उसकी पत्नी की याचिका पर सुनवाई की, जिसने हिंदू धर्म से इस्लाम अपना लिया था। याचिका महिला के पिता द्वारा उनके खिलाफ पुलिस शिकायत को खारिज करने के लिए दायर की गई थी।

आईएएनएस
प्रयागराज


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