बिकरू कांड: SIT ने सौंपी प्रशासन को 3,200 पन्नों की रिपोर्ट

Last Updated 05 Nov 2020 12:10:35 PM IST

उत्तर प्रदेश के कानपुर के बहुचर्चित बिकरू कांड में पुलिस और जिला प्रशासन के अधिकारियों की करतूत सामने आयी है। जांच कर रही एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है।


(फाइल फोटो)

कुल 3,200 पन्नों की रिपोर्ट में एसआईटी ने 75 लोगों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की है। इनमें पुलिस व प्रशासन के लोग भी शामिल हैं। एसआईटी की रिपोर्ट की मूल रिपोर्ट 700 पन्नों की है और इसमें 2,500 पन्ने बतौर संलग्नक लगाए गए हैं। जिन 75 लोगों के खिलाफ कारवाई की सिफारिश की गई है उनमें 60 फीसदी पुलिस और 40 फीसदी प्रशासन के अधिकारी-कर्मचारी हैं।

एसआईटी ने अपनी जांच में कानपुर के पुलिस अफसरों की भूमिका को संदिग्ध पाया है और उनके खिलाफ भी कार्रवाई की सिफारिश की है। माना जा रहा है कि इस रिपोर्ट के आने के बाद कुछ पुलिस अफसरों के खिलाफ सरकार कड़े कदम उठा सकती है।

विकास दुबे की काली कमाई के साम्राज्य को बढ़ाने से लेकर उसके गिरोह के सदस्यों को शस्त्र लाइसेंस दिलाने में अधिकारी मददगार थे। अपर मुख्य सचिव संजय भूसरेड्डी की अध्यक्षता में गठित तीन सदस्यीय विशेष जांच दल (एसआइटी) की जांच में भी पुलिस के अपनों की ही मुखबिरी करने की पोल भी खुली है।

सूत्रों का कहना है कि एसआईटी ने कानपुर के तत्कालीन 80 अधिकारियों और कर्मियों को अपनी जांच में दोषी पाया है और उनके विरुद्ध अलग-अलग कार्रवाई की संस्तुति की गई है। इनमें करीब 50 पुलिस अधिकारी और पुलिसकर्मी हैं।

दोषियों में जिला प्रशासन के अधिकारी और कर्मी भी शामिल हैं। एसआईटी ने प्रशासनिक सुधार से जुड़ी तीन संस्तुतियां भी की हैं। अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी का कहना है कि जांच रिपोर्ट का अध्ययन किया जा रहा है।

मालूम हो कि कानपुर के बिकरू गांव में दो जुलाई 2020 की रात कुख्यात विकास दुबे और उसके साथियों ने सीओ समेत आठ पुलिसकर्मियों की घेरकर हत्या कर दी थी। इस जघन्य घटना के बाद कानपुर पुलिस और प्रशासन की भूमिका पर बड़े सवाल खड़े हुए थे।

सूत्रों का कहना है कि एसआईटी की जांच में विकास दुबे के घर पुलिस टीम के दबिश देने की सूचना पहले ही लीक कर दिए जाने से जुड़े कई तथ्य उजागर हुए हैं।

एसआईटी जांच के घेरे में पुलिस, राजस्व, आपूर्ति, आबकारी और अन्य विभागों के 100 से अधिक अधिकारियों और कर्मियों की भूमिका थी। इनमें करीब 80 अधिकारी और कर्मी दोषी पाए गए। कुख्यात विकास दुबे के 10 जुलाई 2020 को पुलिस मुठभेड़ में मार गिराए जाने के बाद 11 जुलाई 2020 को एसआईटी का गठन किया गया था।

हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के पुलिस और प्रशासन के कई अधिकारियों व कर्मियों से सीधे कनेक्शन भी सामने आए थे। बिकरू गांव में पुलिस टीम विकास दुबे को पकड़ने गई थी, लेकिन इसकी सूचना विकास दुबे को पहले ही मिल गई थी।

एसआईटी को पुलिस कर्मियों की भूमिका और विकास दुबे की काली कमाई से खड़े किए गए साम्राज्य समेत नौ बिंदुओं पर जांच सौंपी गई थी और उसे 31 जुलाई 2020 तक का समय दिया गया था। हालांकि बाद में एसआईटी की जांच का समय बढ़ा दिया गया था।

आईएएनएस
लखनऊ


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