हमें कोरोना संक्रमण रोकने में चुनौतियों का सामना करना पड़ा : योगी

Last Updated 03 Jun 2020 08:26:31 PM IST

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को कहा कि उन्होंने कोविड-19 महामारी के खिलाफ लड़ाई में कई चुनौतियों का सामना किया है, लेकिन वे साथ ही इसके प्रसार को नियंत्रित करने में भी सफल रहे हैं।


उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बताया कि उन्होंने जिन चुनौतियों का सामना किया, उनमें चिकित्सा बुनियादी ढांचे को मजबूत करना, तबलीगी जमात के सदस्यों की बड़ी संख्या, जिसके कारण कोरोना मामलों में उछाल आया, अर्थव्यवस्था को फिर से खोलना और प्रवासियों की वापसी शामिल है।

पत्रकारों के एक चुनिंदा समूह से विशेष बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जब तीन मार्च को कोरोना के लिए पहले अलर्ट की घोषणा की गई थी, तो उत्तर प्रदेश में परीक्षण प्रयोगशाला या कोविड अस्पताल नहीं था और यह एक बड़ी चुनौती थी।

योगी ने कहा, "हमने अपनी चिकित्सा संरचना को मजबूत करना शुरू किया और आज हमारे पास 30 परीक्षण प्रयोगशालाएं और तीन स्तरों (लेवल) में 1,01,236 कोविड अस्पताल हैं। हमारे पास बेड और डॉक्टरों के साथ पहले स्तर के 403 अस्पताल हैं। इसके अलावा दूसरे स्तर के 75 अस्पताल हैं, जो ऑक्सीजन सिलेंडर से लैस हैं और तीसरे स्तर के ऐसे 25 अस्पताल हैं, जिसमें वेंटिलेटर और डायलिसिस के लिए उपकरण आदि उपलब्ध हैं। अब राज्य के 75 जिलों में से प्रत्येक कोरोना रोगियों का इलाज करने के लिए सुसज्जित है।"

योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अब तक कोरोना परीक्षण की आरटीपीसीआर प्रणाली का उपयोग किया जा रहा था, जिसके परिणाम पता चलने में लगभग 12 से 14 घंटे लगते थे। उन्होंने कहा, "हम अब ट्रीनेट मशीनों का उपयोग करेंगे, जो एक घंटे में परिणाम देगी।"

मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार के सामने दूसरी चुनौती तबलीगी जमात के सदस्यों की आमद रही है।

उन्होंने कहा, "हम स्थिति से चतुराई से निपटे और उन्हें ट्रैक करने और उनका इलाज करने में कामयाब रहे।"

योगी आदित्यनाथ ने कहा कि राष्ट्रव्यापी बंद के पहले चरण के बाद, चुनौती धीरे-धीरे अर्थव्यवस्था को फिर से खोलने के साथ ही प्रवासियों के आगमन से निपटने की भी रही।

उन्होंने कहा, "हमने 119 चीनी मिलों और 2500 कोल्ड स्टोरेज को फिर से खोल दिया है। इसके अलावा 65,000 श्रमिकों के साथ निर्माण परियोजनाओं को फिर से शुरू किया गया है। छोटे और मध्यम क्षेत्र में 25.5 लाख श्रमिकों के साथ काम शुरू हुआ, जबकि 80,000 सूक्ष्म इकाइयों में 2.5 लाख श्रमिकों के साथ काम शुरू किया गया। मनरेगा के तहत हमारे पास विभिन्न परियोजनाओं में 40 लाख कर्मचारी थे।"

मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रव्यापी बंद के तीसरे चरण में सरकार को उन प्रवासियों की चुनौती का सामना करना पड़ा, जो बड़ी संख्या में अपने घरों को लौटने लगे थे।

उन्होंने कहा, "हमें उनकी सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करनी थी। हम लगभग 32 लाख श्रमिकों को वापस लेकर आए, जबकि लगभग चार लाख अपने आप पहुंचे। हमें उनकी चिकित्सा जांच करनी थी, उन्हें एकांतवास में रखना था, भोजन उपलब्ध कराना था और उनकी स्किल मैपिंग भी सुनिश्चित करनी थी। हमने उनमें से प्रत्येक को 1000 रुपये और राशन किट भी दी। हमने उन लोगों का पूल परीक्षण किया, जो कोरोना के संदिग्ध मरीज थे। मेडिकल स्क्रीनिंग एक लाख टीमों द्वारा की गई और इस दौरान 4.85 करोड़ लोगों की स्क्रीनिंग की गई।"

एक सवाल का जवाब देते हुए योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उनकी सरकार ने महामारी को नियंत्रित करने में कामयाबी हासिल की है और राज्य में इस समय केवल 3200 सक्रिय (एक्टिव) मामले हैं और 5000 रोगियों का सफलतापूर्वक इलाज किया जा चुका है, जिसके बाद उन्हें अस्पतालों से छुट्टी दे दी गई है।

उन्होंने कहा, "कुछ विशेषज्ञों ने भविष्यवाणी की थी कि मई में उप्र में 65,000 से 70,000 मामले होंगे, लेकिन हम इन्हें 8000 में से नीचे लेकर आए, जिनमें से 5000 का इलाज किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रव्यापी बंद का बहुत ही समयबद्ध निर्णय लिया और हम कोरोना प्रसार की जांच करने में सफल रहे। यह लोगों में मोदी के प्रति विश्वास है, जिसने हमें महामारी से बचाने में मदद की है।"

'अनलॉक 1' के बारे में पूछे गए एक अन्य प्रश्न पर मुख्यमंत्री ने कहा कि सार्वजनिक जागरूकता की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक है।

"आवाजाही की काफी हद तक अनुमति दी गई है, लेकिन लोगों को दिशानिर्देशों का पालन करना होगा और सुरक्षा प्रोटोकॉल सुनिश्चित करना होगा। जैसे कि हम अनलॉक करने के साथ आगे बढ़ रहे हैं, हम केंद्र द्वारा समय-समय पर जारी किए दिशानिदेशरें का पालन करेंगे।"

आईएएनएस
लखनऊ


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