नीरज शेखर ने ग्रहण की भाजपा की सदस्यता
समाजवादी पार्टी (सपा) का दामन छोड़ कर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हुये पूर्व राज्यसभा सांसद नीरज शेखर ने शनिवार को औपचारिक रूप से पार्टी की सदस्यता ग्रहण की।
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पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने यहां उन्हें भाजपा की प्राथमिक सदस्यता ग्रहण करायी। पार्टी के राष्ट्रीय सचिव भूपेन्द्र यादव की मौजूदगी में शेखर ने अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ औपचारिक रूप से भाजपा की सदस्यता सूची में अपने नाम का पंजीकरण कराया।
पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के पुत्र नीरज ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता से प्रभावित होकर उन्होंने राज्यसभा से इस्तीफा देने के बाद भाजपा में शामिल होने का फैसला किया।
उन्होंने कहा, ‘‘कोई भाजपा को अस्वीकार कैसे कर सकता है, जब देश में हर कोई उसका समर्थन कर रहा है। इससे पहले मैं भाजपा के सिद्धांतों के खिलाफ था। मोदी ने मुझसे देश की खातिर साथ काम करने के लिये कहा था। मेरी कोई महत्वाकांक्षा नहीं है और मैं भाजपा के सामान्य कार्यकर्ता के तौर पर काम करना चाहता हूं। मुझे भाजपा में शामिल हुये मात्र आठ दिन हुये है और इस दौरान मुझे इतना मान सम्मान मिला है जितना पहले कभी नहीं हुआ।’’
भाजपा सचिव भूपेन्द्र यादव ने शेखर का स्वागत करते हुये कहा कि वरिष्ठ नेता की पार्टी में यह दूसरी ज्वाइनिंग है। इससे पहले पिछली 16 जुलाई को उन्होंने दिल्ली में पार्टी की सदस्यता ग्रहण की थी।
उन्होंने कहा, ‘‘नीरज शेखर ने भाजपा में शामिल होने से पहले राज्यसभा से इस्तीफा देकर नयी मिसाल कायम की है।’’
पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने नीरज शेखर को सदस्यता कार्ड सौंपते हुये कहा कि सिद्धांतों के धनी पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की किसी अन्य नेता से तुलना नहीं की जा सकती, वैसे ही उनके पुत्र के भाजपा में शामिल होने से पार्टी को मजबूती मिलेगी।
50 वर्षीय नीरज शेखर ने अपना कार्यकाल पूरा होने से पहले पिछली 15 जुलाई को राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। वह साल 2014 से उच्च सदन के सदस्य थे। उनका कार्यकाल 25 नवम्बर 2020 को समाप्त होना था।
हाल ही में सम्पन्न लोकसभा चुनाव में शेखर अपनी पत्नी सुषमा के लिये बलिया संसदीय क्षेत्र से सपा का टिकट मांग रहे थे जिसे देने से पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इंकार कर दिया था।
शेखर पिता और पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की मृत्यु के बाद हुये उपचुनाव में उनकी परंपरागत सीट बलिया से निर्वाचित हुये थे। साल 2009 में हुये लोकसभा चुनाव में उन्होंने एक बार फिर बलिया से सपा के टिकट पर जीत हासिल की हालांकि 2014 में मिली हार के बाद वह राज्यसभा के लिये निर्वाचित हुये।
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