जनहित में मजबूत नहीं, मजबूर सरकार की जरूरत: मायावती
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अध्यक्ष मायावती ने कहा है आम जनता के हित में मजबूत नहीं बल्कि मजबूर सरकार की जरूरत है, ताकि सरकार के दिल-दिमाग में जनता की भलाई का खौफ लगातार बना रहे।
बसपा सुप्रीमो मायावती (फाइल फोटो) |
मायावती ने शनिवार को यहां अवध और पूर्वांचल क्षेत्र के नौ मण्डलों के वरिष्ठ पदाधिकारियों की बैठक में पार्टी संगठन, कैडर की तैयारियों, सर्वसमाज में पार्टी के जनाधार को बढ़ाने की गतिविधियों समीक्षा की।
उन्होंने कहा कि वर्षों से केन्द्र और राज्य में दोनों जगह भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार होने के बावजूद उत्तर प्रदेश का विकास नहीं हुआ है। आमजनता के हित में मजबूत नहीं बल्कि मजबूर सरकार की जरूरत है, ताकि सरकार के दिल-दिमाग में जनता की भलाई का खौफ लगातार बना रहे। मजबूर सरकार होगी तो सरकार निरंकुश नहीं होगी। सत्ताधारी पार्टी के लोग अपने आपको कानून से ऊपर नहीं समझेंगे।
उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार पर कुछ पूंजीपतियों, उद्योगपतियों और धन्नासेठों के हित में ज्यादा काम करने का आरोप लगाते हुये कहा कि यह सरकार लोगों के कल्याण की बजाय व्यवसायिक मानसिकता वाली बनती चली जा रही है। पूर्वांचल क्षेत्र जहां से प्रधानमंत्री और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आते हैं के गांवों में गरीब, किसान सभी का बुरा हाल है। इन क्षेत्रों का मजबूरी में पलायन भी लगातार जारी है। इन क्षेत्रों में भी करोड़ों गरीब लोग बेहतर अपराध-नियंत्रण और कानून-व्यवस्था के साथ-साथ जनहित व विकास के लिये तरस रहे हैं। भाजपा सरकार के तमाम वादों व दावों को खोखला साबित करता है।
मायावती ने कहा कि प्रदेश में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। कानून-व्यवस्था के साथ-साथ बिजली, सड़क, पानी, चिकित्सा, शिक्षा, यातायात आदि का बहुत ही बुरा हाल है। नई पीढ़ी आने वाली चुनौतियों का सामना कर पाने में असमर्थ होती चली जा रही है।
बसपा अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा सरकार एक तरफ तो ग्रामीण रोजगार के मद के धन में लगातार कटौती करके दैनिक मजदूरों का हाल और ज्यादा बदहाल कर रही है। सात लाख से अधिक सरकारी पदों पर बहाली नहीं कर रही है। इससे पिछड़ा वर्ग और अनुसूचित जाति के लोग ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं।
उन्होंने कहा कि देश की 130 करोड़ आमजनता के असली हित और कल्याण की सही चिन्ता करके उसके अनुरूप नीति बनाने के बजाय केवल कुछ मुठ्ठीभर पूंजीपतियों, उद्योगपतियों और धन्नासेठों के हित में ज्यादा काम किये जा रहे हैं जबकि इनका हित केवल लाभ कमाना ही होता है। केवल प्राइवेट सेक्टर को ही हर प्रकार से बढ़ावा देकर देश के विकास व जनहित के मामलों में सरकार अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी से भागना चाहती है।
मायावती ने कहा कि 130 करोड़ लोगों के देश में कुछ मुठ्ठीभर लोगों को गैस, चूल्हा, मकान आदि मुहैया करा देने से क्या केन्द्र सरकार की जिम्मेदारी यहीं समाप्त हो जाती है।
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