मरीजों के साथ मॉरल अटैचमेंट जरूरी: सहाराश्री
सहारा इंडिया परिवार के प्रबंध कार्यकर्ता एवं चेयरमैन सहाराश्री सुब्रत रॉय सहारा ने कहा है कि मरीजों के साथ मॉरल अटैचमेंट से आधा रोग पहले ही ठीक हो जाता है।
भव्यता के साथ मनी सहारा हॉस्पिटल की 10वीं वर्षगांठ |
सहाराश्री मंगलवार को यहां गोमती नगर स्थित सहारा हॉस्पिटल की 10वीं वर्षगांठ पर आयोजित समारोह में उपस्थित डॉक्टरों और नर्सिंग की छात्राओं को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने नर्सिंग की छात्राओं को सेवा का पाठ पढ़ाया और कहा कि नर्सेस का मरीजों के प्रति मॉरल अटैचमेंट जरूरी होता है। रूहानी संलग्नता से किया गया कोई भी काम गुणवत्तापूर्ण तो होता ही है साथ ही आत्मसंतुष्टि प्रदान करता है।
समारोह में किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के कुलपति प्रो. एमएलबी भट्ट के साथ सहारा इंडिया परिवार के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर वर्कर श्री अशोक रॉयचौधरी, श्रीमती कुमकुम रॉयचौधरी, सहारा इंडिया परिवार के वरिष्ठ सलाहकार श्री अनिल विक्रम सिंह, सहारा हॉस्पिटल के निदेशक डॉ. मजहर हुसैन, सहारा हॉस्पिटल के कोआर्डिनेटर मेडिकल केयर डॉ. एचएन त्रिपाठी, वरिष्ठ कार्डियोलॉजिस्ट पद्मश्री डॉ. मंसूर हसन, वरिष्ठ कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. नकुल सिन्हा के साथ सहारा इंडिया परिवार के वरिष्ठ सदस्य मौजूद थे।
लखनऊ के गोमतीनगर स्थित सहारा हॉस्पिटल की 10वीं वर्षगांठ पर आयोजित समारोह में केक काटते सहारा इंडिया परिवार के प्रबंध कार्यकर्ता एवं चेयरमैन सहाराश्री सुब्रत रॉय सहारा, साथ में हैं केजीएमयू के कुलपति प्रो. एमएलबी भट्ट, सहारा इंडिया परिवार की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर वर्कर श्रीमती कुमकुम रॉयचौधरी एवं श्री अशोक रॉयचौधरी, सीनियर एडवाइजर श्री अनिल विक्रम सिंह व पद्मश्री डॉ. मंसूर हसन। (फोटो : स्वपन पॉल/एसएनबी)
सहाराश्री ने कहा कि अच्छे व्यवहार से मरीज का आधा रोग पहले ही ठीक हो जाता है। उन्होंने कहा कि मनुष्य की पांच बड़ी जरूरतें होती हैं, सुरक्षा, प्राण, धन, स्वास्थ्य, मान- सम्मान और प्यार। इनमें से प्राण और स्वास्थ्य नर्सिंग से जुड़े हैं। अगर इसमें कर्म और कर्तव्यबोध के प्रति रूहानी संलग्नता होती है, तो परिणाम बहुत ही अच्छा होता है।
मां सबसे बेहतर उदाहरण है नर्सिंग का: कुलपति केजीएमयू
इस अवसर पर केजीएमयू के कुलपति प्रो.एमएलबी भट्ट ने कहा कि नर्सिंग का सबसे बेहतर उदाहरण मां है। मां अपने बच्चों की जिस प्रकार से देखभाल करती है, उससे अच्छा उदाहरण कुछ नहीं हो सकता है। इस कारण मां की तरह सेवा कर नर्सिंग की छात्राएं अपनी आगे की मंजिल प्राप्त करें। उन्होंने सहारा हॉस्पिटल के द्वारा दी जा रही ट्रेनिंग को प्रदेश में सर्वश्रेष्ठ बताया। उन्होंने नर्सिंग छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि आप खुशनसीब हैं कि आप के अभिभावक प्रदेश के श्रेष्ठ नर्सिंग स्कूल में ट्रेनिंग दिलवा रहे हैं।
इस मौके पर नर्सिंग की छात्राओं ने सरस्वती वंदना से कार्यक्रम का आगाज किया। उन्होंने महिषासुरमर्दिनी को भरतनाट्यम में, डमरू हर-हर बाजै को कथक में, डांडिया रास के साथ देश के सैनिकों को समर्पित कार्यक्रम वंदे मातरम पेश कर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।
सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करतीं सहारा कॉलेज ऑफ नर्सिंग एण्ड पैरामेडिकल साइंसेज की छात्राएं।
सहाराश्री छात्राओं की प्रस्तुतियों से बेहद प्रसन्न हुए और उनको बधाई देते हुए 10 लाख रुपये उपहार मुख्यालय के जरिये देने की घोषणा की। समारोह में नर्सिंग की 100 छात्राओं ने हाथों में दीपक लेकर मरीजों की बेहतर सेवा करने की शपथ ली। सहाराश्री ने नर्सिंग पाठ्यक्रम पूरा करने वाली सफल छात्राओं को प्रमाण पत्र और स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया।
सहारा हॉस्पिटल में खुला आईवीएफ सेन्टर
सहारा इंडिया परिवार के प्रबंध कार्यकर्ता एवं चेयरमैन सहाराश्री सुब्रत रॉय सहारा ने मंगलवार को गोमतीनगर स्थित सहारा हॉस्पिटल में आईवीएफ सेन्टर का उद्घाटन किया। इस अवसर पर सहाराश्री ने कहा कि इस युग में आईवीएफ सेवाओं की बहुत जरूरत है, विशेष रूप से हिन्दुस्तान के बड़े शहरों में। इस सेन्टर के खुलने से बहुतों को लाभ मिलेगा।
सहारा हॉस्पिटल की 10वीं वर्षगांठ पर आईवीएफ सेंटर का उद्घाटन करते सहारा इंडिया परिवार के प्रबंध कार्यकर्ता एवं चेयरमैन सहाराश्री सुब्रत रॉय सहारा, साथ में हैं आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. नरेन्द्र मल्होत्रा, डॉ. जयदीप मल्होत्रा, सहारा इंडिया परिवार के सीनियर एडवाइजर श्री अनिल विक्रम सिंह, एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर वर्कर श्री अशोक रॉयचौधरी (बाएं)।
इससे पूर्व मीडिया से बात करते हुए सहारा रेनबो आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. जयदीप मल्होत्रा ने बताया कि बिना आईवीएफ सेवा के कोई भी हॉस्पिटल कम्पलीट नहीं होता। यहां पर बांझपन पीड़ितों को अत्याधुनिक सेवाएं मुहैया करायी जाएंगी। इसी उद्देश्य से सहारा हॉस्पिटल में यह सेन्टर खोला गया है। आईवीएफ विशेषज्ञ नरेन्द्र मल्होत्रा ने आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि 15 प्रतिशत बांझपन का शिकार दम्पतियों में से 20 से 30 प्रतिशत को आईवीएफ टेस्ट की जरूरत होती है। सहारा हॉस्पिटल में अत्याधुनिक तकनीक का आईवीएफ सेन्टर खुलने से उत्तर भारत ही नहीं बल्कि नेपाल तक के लोगों को इन सेवाओं का लाभ मिलेगा।
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