राजस्थानः गहलोत सरकार ने विधानसभा सत्र 31 जुलाई से बुलाने का संशोधित प्रस्ताव राज्यपाल को भेजा

Last Updated 28 Jul 2020 03:52:37 PM IST

राजस्थान सरकार ने विधानसभा का सत्र 31 जुलाई से आहूत करने के लिए संशोधित प्रस्ताव मंगलवार को राज्यपाल कलराज मिश्र को भेजा।


 गहलोत कैबिनेट की बैठक में संशोधित प्रस्ताव पर विचार- विमर्श के बाद इसे राजभवन भेजा गया है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया,' कैबिनेट से मंजूरी के बाद संशोधित पत्रावली आज राजभवन को भेजी गयी है।'

सूत्रों के अनुसार सरकार ने अपने संशोधित प्रस्ताव में भी यह उल्लेख नहीं किया है कि वह विधानसभा सत्र में विश्वास मत हासिल करना चाहती है या नहीं। हालांकि, इसमें सत्र 31 जुलाई से सत्र आहूत करने का प्रस्ताव है।

राज्य सरकार ने तीसरी बार यह प्रस्ताव राज्यपाल को भेजा है। इससे पहले दो बार राजभवन कुछ बिंदुओं के साथ प्रस्ताव सरकार को लौटा चुका है।

इससे पहले राजस्थान कैबिनेट की बैठक मंगलवार को यहां हुई जिसमें विधानसभा सत्र बुलाने के संशोधित प्रस्ताव पर राज्यपाल द्वारा उठाए गए बिंदुओं पर चर्चा की गयी। बैठक के बाद परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि सरकार 31 जुलाई से सत्र चाहती है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा,''हम 31 जुलाई से सत्र चाहते हैं। जो पहले प्रस्ताव था वह हमारा अधिकार है, कानूनी अधिकार है। उसी को हम वापस भेज रहे हैं।'

उन्होंने कहा,' उसी को हमने वापस भेजा है, अब अगर आप यदि तानाशही पर आ जायें, आप अगर तय कर लें कि हम जो संविधान में तय है उसे मानेंगे ही नहीं तो देश ऐसे चलेगा क्या?'

खाचरियावास ने कहा,' ... हमें पूरी उम्मीद है कि राज्यपाल महोदय देश के संविधान का सम्मान करते हुए राजस्थान की गहलोत सरकार के मंत्रिमंडल के इस प्रस्ताव को मंजूर करेंगे।'

राज्यपाल द्वारा उठाए गए बिंदुओं के बारे में खाचरियावास ने कहा,' हालांकि कानूनन उनको सवाल करने का अधिकार नहीं फिर भी उनका सम्मान रखते हुए उनके बिंदुओं का बहुत अच्छा जवाब दिया है। अब राज्यपाल महोदय को तय करना है कि वे राजस्थान, हर राजस्थानी की भावना को समझें।'

मंत्री ने कहा,'हम लोग राज्यपाल से टकराव नहीं चाहते। हमारी राज्यपाल से कोई नाराजगी नहीं है। न ही हम दोनों में कोई प्रतिस्पर्धा है। राज्यपाल महोदय हमारे परिवार के मुखिया हैं।'

उन्होंने कहा,' राज्यपाल महोदय संविधान के अनुसार विधानसभा सत्र आहूत करने की अनुमति दें। यह हमारा अधिकार है। हम कोई टकराव नहीं चाहते। हम चाहते हैं कि राजस्थान की सरकार सुनिश्चित रहे, आगे बढ़े और जनता का काम करे।'

इसके साथ ही खाचरियावास ने कहा,' राज्यपाल अगर यदि इस बार भी प्रस्ताव मंजूर नहीं करते हैं तो इसका आशय स्पष्ट है कि देश में संविधान नहीं है ... भारत सरकार के नियुक्त किए गए राज्यपाल संविधान को ताक पर रखकर राजनीति कर रहे हैं।

राज्यपाल द्वारा सत्र आहूत करने के लिए 21 दिन का नोटिस दिए जाने के सुझाव पर खाचरियावास ने कहा, 'राज्यपाल महोदय ने कोई तारीख नहीं दी ... उन्होंने तारीख नहीं दी कि 21 दिन बाद आप सत्र कर लो। वे तारीख घोषित करें। वे तारीख तो दें। 21 दिन की बातें हो रही हैं यहां पर... यहां घुमाइए मत, ये खेल चल रहा है-- फुटबाल बनने का, टालने का । अगर वे हमारी तारीख नहीं मानते तो अपनी तारीख तो दें। वे 21 दिन बाद की तारीख भेजेंगे तो उनकी पोल खुल जाएगी।'

खाचरियावास ने कहा कि केंद्र सरकार व भाजपा, राजस्थान और हर राजस्थानी का अपमान कर रही है और वह राज्यपाल पर दबाव बनाना चाहती है। उन्होंने कहा कि भाजपा कांग्रेस के बागियों की गुलाम बनकर काम कर रही है। खाचरियावास ने कहा कि गहलोत समर्थक कोई भी विधायक टूटने वाला नहीं है।

भाजपा ने दायर की सुप्रीम कोर्ट में याचिका
वहीं, भाजपा के विधायक मदन दिलावर ने बसपा के छह विधायकों के कांग्रेस में विलय पर सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर की है। इससे पहले उनकी ही एक याचिका को अदालत ने खारिज कर दिया था।

दिलावर ने राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष के 24 जुलाई के फैसले को चुनौती दी है, जिसमें दलबदल विरोधी कानून के तहत बसपा विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग वाली उनकी याचिका खारिज कर दी गई।

दिलावर ने अपनी पहली याचिका में आरोप लगाया था कि बसपा विधायकों के दलबदल के संबंध में मार्च में उनकी शिकायत के बावजूद अध्यक्ष सी.पी. जोशी द्वारा पिछले कई महीनों में कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

सितंबर 2019 में बसपा के छह विधायक संदीप यादव, वाजिब अली, दीपचंद खेड़िया, लखन मीणा, राजेंद्र गुढ़ा और जोगिंदर सिंह अवाना कांग्रेस में शामिल हो गए थे और हाल ही में राज्यसभा चुनाव के दौरान भी उन्होंने कांग्रेस का समर्थन किया था।

दिलावर ने इस साल मार्च में विधानसभा अध्यक्ष को इस संदर्भ में एक शिकायत सौंपी थी, जिस पर 24 जुलाई तक कोई संज्ञान नहीं लिया गया था।

मायावती बोलीं, राजस्थान के मुख्यमंत्री को सिखाएंगे सबक

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार पर निशाना साधा और कहा कि हम कांग्रेस और गहलोत को सबक सीखाएंगे। बसपा मुखिया ने प्रेस वार्ता के माध्यम से कहा कि राजस्थान में हमने चुनाव के बाद कांग्रेस को बिना शर्त अपने छह विधायकों का समर्थन दिया। दुर्भाग्यवश मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बुरी नीयत से और बसपा को खतरा पहुंचाने के लिए हमारे विधायकों का कांग्रेस में विलय करा लिया। उन्होंने ऐसा ही पिछले शासनकाल में भी किया था।

बसपा पहले भी अदालत जा सकती थी लेकिन हम कांग्रेस और अशोक गहलोत को सबक सिखाना चाहते थे। अब हमने अदालत जाने का फैसला किया है। हम इस मामले को नहीं छोड़ेंगे। हम जरूरत पड़ी तो सुप्रीम कोर्ट भी जाएंगे। हम इस मामले को ऐसे नहीं छोड़ने वाले हैं।

उन्होंने आगे कहा कि हमने सभी 6 विधायकों (जिन्होंने बसपा के सिंबल पर चुनाव लड़ा है) उनसे कहा है कि वे विधानसभा में विश्वासमत के दौरान कांग्रेस सरकार के खिलाफ मत करें। ऐसा न करने पर उनकी सदस्यता रद्द की जाएगी। बसपा कांग्रेस और गहलोत सरकार को पहले भी पाठ पढ़ा सकती थी, लेकिन हम समय का इन्तजार कर रहे थे। अब हमने कोर्ट जाने का निर्णय लिया है। हम सुप्रीम कोर्ट जाने का निर्णय लिया है।

मायावती ने कहा कि हमने किसी पार्टी के विधायक को नहीं तोड़ा। हमने गलत नहीं किया। दूसरे पर ऊंगली उठाने से पहले अपने को देखना चाहिए।

भाषा/आईएएनएस
जयपुर


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