थानागाजी गैगरेप केस: थानाधिकारी के खिलाफ मामला दर्ज होगा, थाने का पूरा स्टाफ बदला जाएगा
थानागाजी में सामूहिक बलात्कार का मामला दर्ज करने में देरी करने की गाज पूरे थाने पर पड़ी है। इस प्रकरण में कार्रवाई में कथित ढिलाई को लेकर राज्य सरकार को काफी आलोचना झेलनी पड़ी थी।
प्रतिकात्मक फोटो |
राज्य सरकार ने थानागाजी सामूहिक दुष्कर्म मामले में कार्रवाई में देरी के लिए पूरे थाने के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। इसके तहत जहां थानाधिकारी सरदार सिंह के खिलाफ मामला दर्ज किया जाएगा वहीं थाने के तत्कालीन पूरे स्टाफ को बदला जाएगा।
इस प्रकरण में कार्रवाई में कथित ढिलाई को लेकर राज्य सरकार को काफी आलोचना झेलनी पड़ी थी।
राज्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) राजीव स्वरूप ने इस मामले में कार्रवाई करने के निर्देश राज्य के पुलिस महानिदेशक को दिए। यह कार्रवाई संभागीय आयुक्त के. सी. वर्मा द्वारा की गयी जांच तथा उपमहानिरीक्षक (सतर्कता) जोस मोहन से करवाई गई जांच की रपटों के आधार पर की गयी है।
सरकारी बयान के अनुसार राज्य सरकार ने इन रपटों क आधार पर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिये हैं। इसके तहत थानागाजी पुलिस स्टेशन के थानाधिकारी सरदार सिंह के खिलाफ मामला दर्ज करने के साथ ही अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ भी कार्रवाई के निर्देश जारी किए गए हैं। थानाधिकारी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 166 ए(सी) और सेक्शन 4(1)/(2)(बी) तथा अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निरोधक) अधिनियम, 1989 के तहत मामला दर्ज किया जाएगा।
निर्देशों के अनुसार अलवर के वृत्ताधिकारी (ग्रामीण) जगमोहन शर्मा को जिले से बाहर स्थानांतरित करने के लिए कहा गया है। उप निरीक्षक बाबूलाल, सहायक उपनिरीक्षक रूपनारायण, कांस्टेबल महेश, घनश्याम सिंह, बृजेंद्र, राजेंद्र और राम रतन का तबादला जयपुर रेंज के बाहर करने को कहा गया है। यही नहीं घटनाक्रम के समय मौजूद थाने के शेष बचे स्टाफ को थानागाजी पुलिस स्टेशन से बदलने के लिए कहा गया है।
पुलिस उपाधीक्षक व वृत्ताधिकारी जगमोहन शर्मा, थानाधिकारी सरदार सिंह और कांस्टेबल महेश के खिलाफ 16 सीसीए की चार्जशीट देने के निर्देश दिए है। तत्कालीन पुलिस अधीक्षक डॉ. राजीव पचार व अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक चिरंजी लाल से भी स्पष्टीकरण मांगा है।
उल्लेखनीय है कि अलवर जिले के थानागाजी थाना क्षेत्र में 26 अप्रैल को अपने पति के साथ मोटर साइकिल पर जा रही एक दलित महिला से पांच लोगों ने सामूहिक दुष्कर्म कर उसका वीडियो बनाया। राज्य में 29 अप्रैल को मतदान होना था और आरोप है कि स्थानीय पुलिस मामले को टालती रही और अंतत: दो मई को मामला दर्ज हुआ।
मामला दर्ज होने में कथित देरी को लेकर पुलिस व राज्य सरकार की काफी आलोचना हुई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व बसपा प्रमुख मायावती ने इस मामले की आलोचना की।
अशोक गहलोत सरकार ने भाजपा व मोदी पर इस मामले को राजनीतिक रंग देने का आरोप लगाया और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी बाद में पीड़ित परिवार से मिले थे। राज्य सरकार ने पीड़िता का पुलिस में नौकरी देने सहित अनेक तरह के राहत कदमों की घोषणा की है।
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