राजस्थान में गहराया भीषण जल संकट, दूषित पानी पीने को मजबूर लोग

Last Updated 06 Jun 2019 11:23:25 AM IST

राजस्थान में लगभग सभी शहर एवं गांवों में पेयजल संकट गहरा रहा है तथा बांध, तालाब और कुएं सूखने के कारण लोगों को दूषित पानी पीने को मजबूर होना पड़ रहा है।


राजस्थान में पेयजल संकट गहराया

राज्य में 236 ब्लॉक में से 190 डॉर्कजोन में आ गये हैं जहां हैंड पम्प और कुएं कुछ समय बाद ही सूख जाते हैं। राज्य सरकार की जलापूर्ति व्यवस्था भी लड़खड़ा गई है। कई स्थानों पर 10-10 दिन में टैंकरों से पानी पहुंचाया जा रहा है। बांधों की स्थिति भी काफी नाजुक हो गई है तथा 284 में से 215 बांध सूखने के कगार पर हैं। इनमें जयपुर, अजमेर और टोंक की प्यास बुझाने वाले बीसलपुर बांध में करीब एक महीने का पानी बचा है। इसके अलावा पार्वती बांध में 16 प्रतिशत, गुढ़ा बांध में 11 प्रतिशत, जवाई बांध में 14 प्रतिशत तथा राजसमंद में 18 प्रतिशत पानी ही बचा है।
   
राज्य सरकार की पेयजल परियोजनायें भी धीमी गति से चल रही हैं तथा 54 में से 37 बड़ी परियोजनायें तथा 437 में 119 ग्रामीण परियोजनायें पूरी नहीं हो पाई हैं, इससे कई शहर और गांवों में पेयजल संकट गहरा रहा है। इसके अलावा कोटा, भरतपुर और नागौर में फ्लोराइडयुक्त पानी की काफी समस्या है।
   
बढ़ती गर्मी के कारण पानी की खपत काफी बढ़ गई है, लेकिन लोग अपने वाहन को साफ करने में कई लीटर पानी जाया कर देते हैं। कई स्थानों पर पेयजल आपूर्ति की पाइपलाइन टूटने से काफी पानी बह जाता है। जलदाय विभाग द्वारा खुदाये गये कुएं तीन साल से ज्यादा नहीं चल पाते तथा हैंड पम्प भी औसतन आठ महीने में ही सूख जाते हैं। कई गांवों के आसपास बने छोटे तालाब भी अब सूखने के कगार पर हैं तथा लोग इनसे भी गंदा पानी निकालने के लिये मजबूर हैं। जबकि यह माना जाता है कि 80 प्रतिशत बीमारियां दूषित पानी की वजह से होती हैं।
   
पिछली भाजपा शासन में जल स्रोतों को पुनर्जीवित करने का अभियान चलाया गया था, जिससे कई जलाशयों में पानी आया तथा लोगों को राहत मिली, लेकिन भीषण गर्मी के कारण उनमें भी पानी ज्यादा नहीं टिक पाया। राज्य सरकार प्रति व्यक्ति 275 लीटर पानी बचाने के अभियान में लगी है, लेकिन कुछ संस्थाओं के अलावा इससे लोग नहीं जुड़ पा रहे हैं।  अब भी व्यर्थ पानी बहाने का उन्हें कोई मलाल नहीं है।
   
राज्य सरकार सहित राज्य की जनता को जल्दी ही मानसून आने की आस है, इसीसे ही पेयजल संकट का हल निकल सकता है। राज्य में इंदिरा गांधी नहर परियोजना और गंगनहर से जुड़े क्षेत्रों में फिलहाल पेयजल का कोई संकट नहीं है तथा सिंचाई के लिये भी अतिरिक्त पानी उपलब्ध है।

वार्ता
जयपुर


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