निकाह दो परिवार के बीच होता है तो तलाक एकांत में क्यों : दरगाह दीवान

Last Updated 03 Apr 2017 07:18:01 PM IST

सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के वंशज एवं सज्जादानशीन प्रमुख दरगाह दीवान सैयद जैनुल आबेदीन अली खान ने कहा है कि एक बार में तीन तलाक का तरीका आज के समय में अप्रासंगिक ही नहीं, खुद पवित्र कुरान की भावनाओं के विपरीत भी है.


दरगाह दीवान सैयद जैनुल आबेदीन अली खान (फाईल फोटो)

सैयद जैनुल आबेदीन अली खान ने कहा है निकाह जब दो परिवारों की उपस्थिति में होता है तो तलाक एकांत में क्यों?

अजमेर सोमवार को सालाना उर्स के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में दरगाह दीवान ने इस्लामी शरीयत के हवाले से कहा कि इस्लाम में शादी दो व्यक्तियों के बीच एक सामाजिक करार माना गया है. इस करार की साफ-साफ शतेर्ं निकाहनामा में दर्ज होनी चाहिए. क्षणिक भावावेश से बचने के लिए तीन तलाक के बीच समय का थोड़ा-थोड़ा अंतराल जरूर होना चाहिए. यह भी देखना होगा कि जब निकाह लड़के और लड़की दोनों की रजामंदी से होता है, तो तलाक मामले में कम से कम स्त्री के साथ विस्तृत संवाद भी निश्चित तौर पर शामिल किया जाना चाहिए.


    
उन्होंने कहा कि पैगंबर हजरत मुहम्मद ने कहा था कि अल्लाह को तलाक सख्त नापसंद है. कुरान की आयतों में साफ दर्शाया गया है कि अगर तलाक होना ही हो तो उसका तरीका हमेशा न्यायिक एवं शरई हो. कुरान की आयतों में कहा गया है कि अगर पति-पत्नी में क्लेश हो तो उसे बातचीत के द्वारा सुलझाने की कोशिश करें. जरूरत पड़ने पर समाधान के लिए दोनों परिवारों से एक-एक मध्यस्थ भी नियुक्त करें. समाधान की यह कोशिश कम से कम 90 दिनों तक होनी चाहिए.

भाषा


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment