अमेरिकी शुल्क पर संयमित, रणनीतिक प्रतिक्रिया देने की जरूरतः फडणवीस
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बृहस्पतिवार को अमेरिका में भारतीय उत्पादों पर लगाए गए उच्च शुल्कों को लेकर हितधारकों से संयमित और रणनीतिक प्रतिक्रिया देने की अपील की।
![]() महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस |
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि शुल्क के प्रभाव को कम करने के लिए नए और वैकल्पिक बाजारों की पहचान कर उन्हें विकसित करना जरूरी है।
फडणवीस ने यहां एक बैठक में कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत आत्मविश्वास के साथ इन चुनौतियों का सामना कर रहा है। हमें इस प्रतिकूल स्थिति को अवसर में बदलना होगा।’’
उन्होंने वैश्विक आयात-निर्यात परिदृश्य के मद्देनजर नीतिगय उपायों पर चर्चा के लिए आयोजित उच्चस्तरीय बैठक की अध्यक्षता करते हुए यह बात कही।
बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि महाराष्ट्र को ‘कारोबार को सुगम’ बनाने वाले सुधारों के तहत 100 कदम उठाने चाहिए। इसके लिए एक विशेष ‘वॉर रूम’ बनाए जाने का निर्देश दिया जो इन सुधारों की मासिक समीक्षा और निगरानी करेगा।
फडणवीस ने कहा कि महाराष्ट्र को निजी औद्योगिक पार्कों को बढ़ावा देना चाहिए और इसके लिए स्पष्ट नीति बननी चाहिए ताकि महाराष्ट्र औद्योगिक विकास निगम (एमआईडीसी) क्षेत्रों के बाहर भी निवेश को गति मिल सके।
उन्होंने सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) को शामिल करने पर जोर दिया और औद्योगिक इकाइयों के लिए परमिट मंजूरी की प्रक्रिया को तेज और सरल बनाने के निर्देश दिए।
उन्होंने कहा, ‘‘महाराष्ट्र नई और मौजूदा दोनों तरह की उद्योग इकाइयों को सहयोग देने के लिए प्रतिबद्ध है। विलंब को खत्म करने के लिए एकल खिड़की व्यवस्था को मजबूत किया जाएगा। इसके अलावा, पांच हेक्टेयर से बड़े भूखंडों पर कृषि आधारित उद्योगों को पहले अनुमति लेने की जरूरत भी नहीं होगी।’’
मुख्यमंत्री ने कहा कि औद्योगिक मंजूरियों की प्रक्रिया अवधि घटाई जाए, भू-सीमा निर्धारण कार्य में तेजी लाई जाए और प्रदूषण से जुड़े दंडात्मक प्रावधानों को तर्कसंगत बनाया जाए ताकि पर्यावरण-अनुकूल उद्योगों पर अत्यधिक भार न पड़े।
मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) की तरफ से जारी बयान के मुताबिक, सुधारों की आगामी श्रृंखला में औद्योगिक भूमि आवंटन के लिए भूमि बैंक बनाने, पारदर्शी एवं समयबद्ध भूमि आवंटन प्रक्रिया, 60 दिन में पर्यावरण मंजूरी, जिला स्तर पर निवेश संवर्धन प्रकोष्ठ की स्थापना और ‘एक ब्लॉक, एक क्लस्टर’ नीति का कार्यान्वयन शामिल हैं।
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