भारत राष्ट्र समिति (BRS) की नेता के कविता ने पार्टी की हालिया बैठक के नकारात्मक और सकारात्मक पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए अपने पिता एवं पूर्व मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव (KCR) को कथित रूप से एक पत्र लिखा जिसने तेलंगाना के राजनीतिक हलकों में अटकलों को जन्म दे दिया है।

|
इस हस्तलिखित पत्र की प्रामाणिकता की पुष्टि नहीं हो पाई है लेकिन न तो कविता के कार्यालय और न ही केसीआर के कार्यालय ने इस पर कोई टिप्पणी की है।
कविता ने तेलुगु और अंग्रेजी में लिखे पत्र में कहा, ‘‘जैसा कि आपने (केसीआर ने) सिर्फ दो मिनट बात की, कुछ लोगों ने अटकलें लगानी शुरू कर दीं कि भविष्य में भाजपा के साथ गठबंधन होगा। यहां तक कि मुझे भी व्यक्तिगत रूप से लगा कि आपको (भाजपा के खिलाफ) मजबूती से बोलना चाहिए था। ऐसा शायद इसलिए है क्योंकि मुझे (भाजपा की वजह से) तकलीफ हुई। पिता जी, आपको भाजपा पर और निशाना साधना चाहिए था।’’
इस पत्र के सामने आने के कई घंटों बाद भी विपक्षी पार्टी ने इसका खंडन नहीं किया है। बीआरएस ने 27 अप्रैल को वारंगल में अपनी रजत जयंती मनाई थी।
कविता ने पिछड़े वर्गों के लिए 42 प्रतिशत आरक्षण, अनुसूचित जातियों का वर्गीकरण और वक्फ संशोधन अधिनियम जैसे कई प्रमुख मुद्दों पर राव की चुप्पी को नकारात्मक प्रतिक्रिया का कारण बताया।
बीआरएस की विधान परिषद सदस्य कविता इस पत्र पर टिप्पणी के लिए तत्काल उपलब्ध नहीं थीं क्योंकि वह अपने बेटे के दीक्षांत समारोह में भाग लेने के लिए इस समय अमेरिका में हैं।
पत्र में उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार ने जमीनी स्तर पर अपना समर्थन खो दिया है और कुछ बीआरएस कार्यकर्ता अब भाजपा को एक व्यवहार्य विकल्प के रूप में देखते हैं।
कविता ने कहा कि बीआरएस ने जब हाल में विधान परिषद चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया तो इससे पार्टी कार्यकर्ताओं में एक मजबूत संकेत गया कि वे भाजपा के साथ गठबंधन कर सकते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘हर किसी को उम्मीद थी कि आप राजनीतिक परिदृश्य के संबंध में विशिष्ट कार्यक्रम पेश करेंगे या दिशानिर्देश देंगे। कम से कम अब हम एक या दो दिन के लिए पूर्ण अधिवेशन आयोजित कर सकते हैं। अधिक से अधिक कार्यकर्ताओं से राय लें और उन्हें दिशानिर्देश दें।’’
उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री से निर्णायक तरीके से कार्य करने का आग्रह किया।
पत्र में इस बात पर भी चिंता जताई गई कि वारंगल कार्यक्रम के दौरान तेलंगाना आंदोलन के कुछ कार्यकर्ताओं के साथ उचित व्यवहार नहीं किया गया या उन्हें बोलने का मौका नहीं दिया गया।
पत्र में उन्होंने ‘‘ऑपरेशन कगार’’ (नक्सलियों के खिलाफ) पर अपने पिता के रुख की प्रशंसा की और पहलगाम आतंकवादी हमले के पीड़ितों के लिए मौन रखे जाने की सराहना की।
उन्होंने अपने पत्र के अंत में वारंगल बैठक की सफलता के लिए अपने पिता को बधाई दी।
इस बीच, बीआरएस के नेता एवं विधान परिषद सदस्य श्रवण दासोजू ने कहा कि उन्हें इस बात पर यकीन नहीं है कि यह पत्र वास्तव में कविता ने लिखा है और अगर उन्होंने यह लिखा भी है तो भी इसमें ‘‘हिलाने वाली’’ कोई बात नहीं है क्योंकि पत्र की विषय-वस्तु में प्रतिक्रिया दी गई है।
उन्होंने न्यूज एजेंसी से कहा, ‘‘यह एक बेटी द्वारा अपने पिता को या एक नेता द्वारा सर्वोच्च नेता को दी गई एक बहुत ही सामान्य प्रतिक्रिया है। यह (पत्र) उन्हें लोगों से मिली प्रतिक्रिया को समेकित करने और उसे आगे बढ़ाने जैसा है।’’
| | |
 |