Pahalgam Terror Attack: पहलगाम हमले के बाद अटारी बॉर्डर पर बढ़ी सुरक्षा, स्थानीयों को टूरिज्म पर असर की चिंता
Pahalgam Terror Attack: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद अटारी बॉर्डर पर सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम कर दिए गए हैं।
![]() पहलगाम हमले के बाद अटारी बॉर्डर पर बढ़ी सुरक्षा, स्थानीयों को टूरिज्म पर असर की चिंता |
इस घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है और इसके असर अब सीमावर्ती इलाकों में भी देखे जा रहे हैं। अटारी-वाघा बॉर्डर निवासी काबल सिंह महवा ने सुरक्षा व्यवस्था को लेकर प्रतिक्रिया दी है।
काबल सिंह ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, "इस हमले के बाद यहां सुरक्षा बढ़ा दी गई है। पहलगाम की घटना निंदनीय है। धर्म पूछकर सरेआम इतने लोगों को गोली मार दी गई, यह इंसानियत के खिलाफ है।"
हालांकि उन्होंने साथ ही यह भी कहा कि आतंक के नाम पर डर का माहौल बनाना ठीक नहीं है। यहां जो आतंक का माहौल बना है वह गलत है। इससे टूरिस्ट आने कम हो जाएंगे और यहां के दुकानदारों के कारोबार पर बुरा असर पड़ेगा।"
उन्होंने कहा कि अटारी बॉर्डर पर हर दिन सैकड़ों पर्यटक रिट्रीट सेरेमनी देखने आते हैं। यहां की स्थानीय अर्थव्यवस्था काफी हद तक टूरिज्म पर निर्भर है। होटल, रेस्टोरेंट, लोकल स्टॉल्स और गाइडिंग सर्विस जैसे व्यवसायों को पर्यटकों से ही जीवन मिलता है। स्थानीय व्यवसायियों को डर है कि अगर मौजूदा हालात ऐसे ही रहे तो टूरिस्टों की संख्या घटेगी, जिससे आम लोगों की रोजी-रोटी पर असर पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि हमें आतंक से निपटना है, लेकिन साथ में लोगों की आजीविका का भी ध्यान रखना जरूरी है।
काबल सिंह जैसे कई स्थानीय लोग सरकार से अपील कर रहे हैं कि सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ऐसे कदम उठाए जाएं, जिससे आम जनजीवन और स्थानीय व्यापार प्रभावित न हो।
एक अन्य व्यक्ति ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि वाघा बॉर्डर बंद नहीं होना चाहिए था। दोनों तरफ से आना-जाना होना चाहिए। आतंकी हमले की हम कड़ी निंदा करते हैं।
बता दें कि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में मंगलवार को आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत हो गई थी और कई घायल हुए थे। घायलों में स्थानीय निवासी भी शामिल हैं। इस हमले के बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपना विदेशी दौरा बीच में ही छोड़कर भारत लौट आए।
बुधवार शाम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (सीसीएस) की अहम बैठक में कई बड़े फैसले लिए गए हैं, जिसमें अटारी-वाघा बॉर्डर बंद करने का भी निर्णय लिया गया।
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