निर्दलीय विधायकों की बैसाखी के सहारे हरियाणा की सरकार!
हरियाणा विधानसभा का चुनाव 2024 के अक्टूबर माह में होने की संभावना है लेकिन वहां की सियासत अभी से गरमा गई है। भाजपा और जननायक जनता पार्टी की गठबंधन की सरकार के बीच सब कुछ् ठीक नहीं चल रहा है।
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दुष्यंत चौटाला ने भाजपा से दो-दो हाथ करने का पूरा मन बना लिया है। उन्हें लगता है कि आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा की वहां स्थिति ठीक नहीं रहने वाली है। लिहाजा उन्होंने अपना रास्ता बदलने का पूरा मन बना लिया है। हाल में हुए कुछ राजनैतिक घटनाक्रमों के बाद गठबंधन की डोर टूटती हुई नजर आ रही है। दोनों पार्टियों के नेताओं के ब्यान के बाद ऐसा प्रतीत होने लगा है कि शायद बहुत जल्दी ही भाजपा, कुछ निर्दलीय विधायकों को साथ लेकर सरकार बना सकती है और दुष्यंत चौटाला की पार्टी सत्ता से बाहर हो सकती है।
हरियाणा में विधानसभा की कुल 90 सीटें हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को 40 सीटें मिलीं थीं, जबकि दुष्यंत चौटाला की पार्टी जननायक जनता पार्टी को 10 सीटें मिलीं थीं। बीजेपी और जेजेपी ने मिलकर सरकार बनाई थीं। लेकिन लगभग साढ़े तीन साल के बाद अब ऐसा लगता है कि यह गठबंधन टूटने की कगार पर आ गया है। गठबंधन टूटने का कारण आपसी विवाद है। इन दोनों पार्टियों के बीच विवाद की वजह कथित तौर पर हरियाणा बीजेपी के प्रदेश प्रभारी बिप्लब कुमार देब बने हैं ।
उन्होंने जब यह कह दिया कि उचाना विधानसभा की अगली विधायक प्रेमलता होंगीं, तो जेजेपी के नेता आग बबूला हो गए। खास करके दुष्यंत चौटाला तो बेहद नाराज हुए क्योंकि वर्तमान में चौटाला उचाना के विधायक हैं। उन्हें लगा कि जब वह खुद उचाना के विधायक हैं तो ऐसे में भाजपा प्रभारी किसी और के नाम की घोषणा कैसे कर सकते हैं। यानी कुल मिलाकर उचाना से प्रेमलता तब ही विधायक बन सकती हैं जब वह वहां से चुनाव लड़ें और दुष्यंत चौटाला कहीं और से लड़ें। लेक़िन ऐसा तभी सम्भव हो सकता है जब दोनों पार्टियां अलग-अलग होकर चुनाव मैदान में उतरें। क्यों चौटाला उचाना विधानसभा क्षेत्र छोडेंगे नहीं। यानि बिप्लब देब के बयान से स्पष्ट हो गया है कि भाजपा आगामी विधानसभा चुनाव में जे जे पी का साथ नहीं चाहती है।
इन दोनों पार्टियों के बयानबाजी के बाद ऐसा लगने लगा है कि यह गठबंधन बहुत दिनों तक शायद ना चले। उधर दो दिन पहले जब किसान शाहबाद में एमएसपी को लेकर जीटी रोड पर धरना दे रहे थे तो उन पर लाठी चार्ज हुआ था। जिसके विरोध में वहां के जेजेपी विधायक और हरियाणा शुगर फेडरेशन के अध्यक्ष रामकरण काला ने अपने पद से स्तीफा देकर यह बता दिया था कि वो सरकार के इस कदम से नाराज हैं। इसी बीच वहां के चार निर्दलीय विधायकों ने बिप्लब कुमार देब से मुलाक़ात कर भाजपा में अपना विस्वास जता दिया था। अब चूँकि भाजपा को सरकार बचाने के लिए कुल पांच विधायकों की जरुरत है, जबकि गोपाल कांडा अपनी पार्टी के विधायक का समर्थन देने का पहले ही आश्वासन दे चुके हैं।
हरियाणा को लेकर ऐसा माना जा रहा है कि आगामी चुनाव में भाजपा की स्थिति वहां ठीक नहीं रहने वाली है। ऐसे में दुष्यंत चौटाला शायद इस सोच में हैं कि अपनी पार्टी का विस्तार कर अकेले दम पर सरकार बनाने की कोशिश की जाय। संभावना यह भी बन रही है कि आगामी लोकसभा चुनाव में जेजेपी विपक्षी पार्टियों के गठबंधन में शामिल हो जाए। यानी हरियाणा को लेकर इस समय जो बातें चल रही हैं, उसके मुताबिक़ ऐसा प्रतीत हो रहा है कि शायद बहुत जल्दी ही वहां भाजपा निर्दलीय विधायकों के साथ मिलकर अपनी सरकार दुबारा बना ले क्यों कि यह तय है कि अब दुष्यंत चौटाला भी पिछे हटने के मूड में नहीं हैं। ऐसे में बहुत जल्दी ही हरियाणा में सरकार की एक नई शक्ल दिखाई दे जाय तो कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए। साथ ही साथ यह भी सम्भवना जताई जा रही है कि अब निर्दलीय विधायकों की बैशाखी के सहारे चलेगी हरियाणा की सरकार।
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