टाटा मोटर्स को सिंगूर से मैंने नहीं, माकपा ने निकाला था : ममता

Last Updated 19 Oct 2022 06:16:54 PM IST

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को कहा कि टाटा परियोजना को राज्य से भगाने के लिए वह या तृणमूल नहीं, बल्कि तत्कालीन सत्तारूढ़ माकपा जिम्मेदार थी।


पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी

साल 2008 में दुर्गा पूजा से ठीक दो दिन पहले टाटा समूह के अध्यक्ष रतन टाटा ने पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के सिंगूर से महत्वाकांक्षी नैनो छोटी कार परियोजना वापस लेने की घोषणा की थी, क्योंकि तृणमूल कांग्रेस के बड़े आंदोलन के कारण माकपा के नतृत्व वाली तत्कालीन वाम मोर्चा सरकार ने इस परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण के खिलाफ फैसला लिया था।

माना जाता है कि चौदह साल पहले की इस घटना से राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय निवेशकों के सामने पश्चिम बंगाल की छवि को सबसे बड़ा झटका लगा था।

ममता ने सिलीगुड़ी के दार्जिलिंग जिले में एक जनसभा के दौरान कहा, "मैंने टाटा को बाहर नहीं किया। माकपा ने किया। मैंने बाद में किसानों को जमीन वापस कर दी।"

रतन टाटा ने सिंगूर से निकलने के फैसले की घोषणा करते समय अपने भाषण में ममता बनर्जी को भी परियोजना बंद करने के निर्णय के लिए काफी हद तक जिम्मेदार ठहराया था, उस समय विपक्षी की नेता थीं।

उन्होंने कहा था, "मुझे लगता है कि यदि आप मेरे सिर पर बंदूक रखते हैं, तो आप या तो ट्रिगर खींचते हैं या बंदूक हटा लेते हैं, क्योंकि मैं अपना सिर नहीं हिलाऊंगा। मुझे लगता है कि सुश्री बनर्जी ने ट्रिगर खींच लिया है।"

सिंगूर से हटने के बाद गुजरात का साणंद नैनो फैक्ट्री का नया ठिकाना बन गया।

ममता ने बुधवार को यह भी कहा कि हालांकि अब उनका लक्ष्य नए उद्योग स्थापित करना है, फिर भी वह किसी भी परियोजना के लिए जबरन भूमि अधिग्रहण के खिलाफ हैं।

उन्होंने कहा, "2011 में हमारे सत्ता में आने के बाद से कई औद्योगिक परियोजनाएं शुरू की गई हैं। लेकिन कभी भी जबरदस्ती भूमि अधिग्रहण नहीं हुआ।"

मुख्यमंत्री की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए माकपा केंद्रीय समिति के सदस्य सुजान चक्रवर्ती ने कहा कि ममता बनर्जी की सरकार ने एक कारखाने को डायनामाइट से उड़ा दिया था, जिसका 80 प्रतिशत निर्माण पूरा हो चुका था।

उन्होंने कहा, "यह वास्तव में राज्य के इतने सारे युवाओं के सपनों को नष्ट करने जैसा था। वह अब युवाओं को पश्चिम बंगाल में 'झालमुरी' को एक उद्योग में बदलने के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं।"

वास्तव में, सिंगूर में ममता के भूमि अधिग्रहण विरोधी आंदोलन ने वाम मोर्चे के ग्रामीण वोट बैंक को उनके पाले में ला दिया था। यही वजह थी कि 2011 में ममता वामपंथियों के 34 साल के शासन का अंत कर मुख्यमंत्री बनी थीं।

हालांकि, तब से टाटा समूह का पश्चिम बंगाल में ताजा निवेश एक भ्रम बना हुआ है।

आईएएनएस
कोलकाता


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