तमिल अभिनेता सूर्या और 'जय भीम' के निर्देशक को मिली राहत, मद्रास हाईकोर्ट ने भावनाएं आहत करने वाली प्राथमिकी रद्द की

Last Updated 12 Aug 2022 08:27:30 AM IST

मद्रास हाईकोर्ट ने गुरुवार को तमिल अभिनेता सूर्या और जय भीम फिल्म के निर्देशक टी. जे. ज्ञानवेल के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर को रद्द कर दिया।


सूर्या

फिल्म 'जय भीम' में वन्नियार समुदाय की भावनाओं को कथित रूप से आहत करने के लिए चेन्नई के वेलाचेरी पुलिस स्टेशन में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। आरोप लगाया गया था कि फिल्म में समुदाय को खराब तरीके से चित्रित किया गया है।

प्राथमिकी 17 मई को रुद्र वन्नियार सेना के वकील के. संतोष की शिकायत पर दर्ज की गई थी। मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति एन. सतीश कुमार ने अभिनेता और निर्देशक द्वारा उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने के लिए दायर एक संयुक्त याचिका की अनुमति दी।

याचिकाकर्ताओं ने अपनी याचिका में कहा कि फिल्म 'जय भीम' एक ऐसे मामले पर आधारित है, जिसमें मद्रास उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति के. चंद्रू भी शामिल रहे थे, जब वह एक वकील के तौर पर प्रैक्टिस कर रहे थे। इसमें कहा गया है कि उनके नाम और पुलिस महानिरीक्षक पेरुमालस्वामी के नाम को छोड़कर, अन्य सभी पात्रों के नाम बदल दिए गए थे।

फिल्म के अभिनेता और निर्देशक ने कहा कि वे पात्रों के वास्तविक नामों का उपयोग नहीं करना चाहते, क्योंकि उनमें से अधिकांश पूरी जेल की सजा काट चुके हैं और अभी भी जीवित हैं। फिल्म को सेंसर बोर्ड द्वारा 'ए' प्रमाणपत्र दिया गया था और इसे केवल ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज किया गया था, जिससे उन दर्शकों की संख्या सीमित हो गई थी, जो इसे देख सकते थे।

याचिकाकर्ताओं के अनुसार, फिल्म को दुनिया भर में खूब सराहा गया और बिना किसी जाति या पंथ से जुड़े लोगों के सभी वर्गों द्वारा इसकी सराहना की गई। दलील दी गई कि फिल्म ने दादासाहेब फाल्के फिल्म फेस्टिवल अवार्ड, जेडब्ल्यूएफ अवार्ड और बोस्टन इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल अवार्ड सहित कई प्रशंसाएं प्राप्त की और पुरस्कार जीते।

फिल्म निमार्ताओं ने कहा कि बार काउंसिल ऑफ तमिलनाडु और पुडुचेरी के अध्यक्ष पी. एस. अमलराज ने फिल्म 'जय भीम' की सराहना करते हुए निर्देशक को एक पत्र भी लिखा था।

याचिकाकर्ताओं ने कहा कि इन सभी प्रशंसाओं और सकारात्मक प्रतिक्रियाओं के बावजूद, शिकायतकर्ता ने चेन्नई के सैदापेट में मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट अदालत का दरवाजा खटखटाया और फिल्म निर्माताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के लिए 6 मई को एक आदेश प्राप्त किया।

गौरतलब है कि रुद्र वन्नियार सेना और शिकायतकर्ता खलनायक को 'गुरुमूर्ति' नाम दिए जाने से व्यथित हैं और एक ²श्य में वन्नियार संगम का एक कैलेंडर दिखाए जाने पर भी नाराज हैं। पृष्ठभूमि में लटकाए गए कैलेंडर को एक समुदाय के संदर्भ के रूप में लिया गया और इसे किसी विशेष समुदाय के संदर्भ का प्रतीक मानते हुए फिल्म का विरोध शुरू हो गया।

इससे पहले ज्ञानवेल ने एक बयान में कहा था कि उनका किसी विशेष समुदाय को आहत करने का कोई इरादा नहीं था और जिन्हें भी उससे ठेस पहुंची है उसके लिए वह खेद प्रकट करते हैं।

आईएएनएस
चेन्नई


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