राजनाथ ने सावरकर पर झूठ बोला : ओवैसी

Last Updated 14 Oct 2021 03:35:33 AM IST

एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने बुधवार को कहा कि रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने झूठ बोला कि महात्मा गांधी के अनुरोध पर सावरकर ने अंग्रेजों को माफीनामा लिखकर दिया था। हैदराबाद से लोकसभा सदस्य ओवैसी ने सिलसिलेवार ट्वीटों के जरिए राजनाथ सिंह के दावे पर विवाद खड़ा किया।


एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी

ओवैसी ने 25 जनवरी, 1920 के पत्र को 'द कलेक्टेड वर्क्‍स' में प्रकाशित हिस्से को टैग करते हुए लिखा, "गांधी का यह पत्र सावरकर को मिला। ब्रिटिशों से उदारता, दया और ताज के वफादार सेवक होने का वादा करने वाली याचिका का कोई उल्लेख नहीं है।"

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष ने बताया कि सावरकर ने जेल जाने के सिर्फ 6 महीने बाद 1911 में पहली याचिका लिखी थी। गांधी तब दक्षिण अफ्रीका में थे। सावरकर ने 1913/14 में फिर से लिखा। गांधी की सलाह उन्हें 1920 से मिला।

सांसद ने पूछा, "क्या यह झूठ है कि इस 'वीर' ने तिरंगे को खारिज कर दिया और भगवा को हमारे झंडे के रूप में देखना चाहते थे?"



ओवैसी ने लिखा, "कल अपने भाषण में आपने जिक्र किया था कि सावरकर ने हिंदू को किसी ऐसे व्यक्ति के रूप में परिभाषित किया था जिसके लिए भारत जन्मभूमि या मातृभूमि थी। हालांकि, सावरकर, सीमित बौद्धिक कौशल वाले व्यक्ति के रूप में, वास्तव में हिंदू को एक ऐसे व्यक्ति के रूप में परिभाषित किया था जिसके लिए भारत पितृभूमि और पवित्र भूमि थी।"

"उनके विचार में, भारत मुसलमानों और ईसाइयों के लिए पवित्र भूमि नहीं था और इसलिए वे भारत के प्रति पूरी तरह से वफादार नहीं हो सकते थे। रक्षामंत्री के रूप में इस पर आपका क्या विचार है? क्या आप इस सिद्धांत की सदस्यता लेते हैं?"

ओवैसी ने मांग की कि जिसने भी राजनाथ सिंह के लिए यह भाषण लिखा है, उसे यह कहते हुए निकाल दिया जाना चाहिए कि ऐसे सलाहकारों का होना अच्छा नहीं है, जिनका सच्चाई से 'सावरकरी संबंध' है।

इससे पहले, सिंह ने सावरकर को एक कट्टर राष्ट्रवादी और 20वीं सदी में भारत का पहला सैन्य रणनीतिकार बताया। उन्होंने यह भी कहा कि मार्क्‍सवादी और लेनिनवादी विचारधारा के लोग उन पर फासीवादी होने का गलत आरोप लगाते हैं।

सावरकर पर एक किताब के विमोचन के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में सिंह ने उन्हें 'राष्ट्रीय प्रतीक' बताया और कहा कि उन्होंने देश को 'मजबूत रक्षा और कूटनीतिक सिद्धांत' दिया।

इस बीच ओवैसी ने संवाददाताओं से कहा कि वह भाजपा और आरएसएस देश को संदेश दे रहे हैं कि वह दिन दूर नहीं, जब महात्मा गांधी की जगह सावरकर को राष्ट्रपिता घोषित किया जाएगा।

ओवैसी ने कहा कि एक सांसद के रूप में संसद के सेंट्रल हॉल में महात्मा गांधी के चित्र के सामने सावरकर का चित्र देखना उनके लिए दर्दनाक था।

उन्होंने कहा कि राजनाथ सिंह ने झूठ बोला, जब उन्होंने कहा कि सावरकर ने गांधी की सलाह पर दया याचिकाएं लिखीं। उन्होंने बताया कि गांधी विरोध के अहिंसक तरीके के रूप में जेल जाने में विश्वास करते थे।

उन्होंने पूछा, "सावरकर ने काला पानी भेजे जाने के आठ महीने बाद दया याचिका लिखी थी। जेल में बंद अन्य लोगों ने दया याचिका क्यों नहीं लिखी?"

सावरकर की प्रशंसा करने वाले आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर ओवैसी ने कहा कि 'अर्ध-सत्य' और 'पूरा झूठ' बोलना भागवत की आदत बन गई है।

उन्होंने आरएसएस प्रमुख से पूछा कि "क्या वह इस बात से इनकार करेंगे कि सरदार पटेल ने कहा था कि सावरकर के अधीन काम करने वाली हिंदू महासभा की वित्तीय शाखा ने महात्मा गांधी की हत्या की।"

ओवैसी ने पूछा, "क्या वह इस बात से भी इनकार करेंगे कि न्यायमूर्ति कपूर जांच आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि सावरकर महात्मा गांधी की हत्या में शामिल थे?"

एआईएमआईएम नेता ने भागवत के इस दावे को खारिज कर दिया कि सावरकर मुसलमानों के दुश्मन नहीं थे। उन्होंने सावरकर के इस कथन का हवाला दिया कि "केवल हिंदू ही इस देश के सच्चे नागरिक हैं।"

ओवैसी ने कहा कि सावरकर फासीवाद और नाजीवाद में विश्वास रखते थे।

आईएएनएस
हैदराबाद


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