कर्नाटक मंत्रिमंडल का विस्तार, 10 नये मंत्रियो ने ली शपथ
कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा ने उन 10 विधायकों को गुरूवार को मंत्री पद दिए जिन्होंने कांग्रेस-जद(एस) गठबंधन सरकार को हटाने और भाजपा की सत्ता में आने में मदद की थी।
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तब अयोग्य करार दिए गए कांग्रेस-जद(एस) के ये विधायक भाजपा में शामिल हो गए थे और उन्होंने दिसंबर में हुए उपचुनाव में जीत दर्ज की। मंत्रियों ने राजभवन में सादे समारोह में शपथ ली। राज्यपाल वजुभाई वाला ने उन्हें पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई।
जिन 10 नये मंत्रियों को शामिल किया गया है उनमें एस टी सोमशेखर (यशवंतपुर निर्वाचन क्षेत्र) , रमेश जारकीहोली (गोकक), आनंद सिंह (विजयनगर), के सुधाकर (चिकबल्लापुर), बी बासवराज (के आर पुरम), ए. शिवराज हेब्बार (येल्लापुर), बी सी पाटिल (हिरेकेरुर), के गोपालैया (महालक्ष्मी लेआउट), के सी नारायण गौडा (के आर पेट) और श्रीमंत बालासाहेब पाटिल (कगवाड) शामिल हैं।
इस बहु प्रतीक्षित मंत्रिमंडल विस्तार से मंत्रियों की संख्या बढकर अब 28 हो गई है और अब केवल छह पद रिक्त हैं। पिछले साल अगस्त में हुए पहले मंत्रिमंडल विस्तार में 17 मंत्रियों को शामिल किया गया था।
Karnataka MLAs Shivaram Hebbar, BC Patil, K Gopalaiah and Narayana Gowda took oath as Cabinet Ministers at Raj Bhawan in Bengaluru. pic.twitter.com/CSuipAL62l
— ANI (@ANI) February 6, 2020
येदियुरप्पा ने रविवार को घोषणा की थी कि बृहस्पतिवार को शपथ लेने वाले दस मंत्रियों समेत 13 विधायकों और भाजपा के तीन पुराने सदस्यों को मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा। जिन तीन को मंत्री पद मिलने की संभावना थी उनमें उमेश कट्टी, अरविंद लिंबावली और सी पी योगेश्वर शामिल थे।
भाजपा के एक वर्ग ने योगेश्वर को मंत्री बनाने का विरोध करते हुए कहा कि वह विधानसभा चुनाव हार गए थे और सदन के सदस्य भी नहीं हैं।
बुधवार की देर रात को येदियुरप्पा ने कहा कि पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के निर्देशों के बाद भाजपा के पुराने सदस्यों को मंत्रिमंडल में शामिल करने पर रोक लगा दी गई है।
पार्टी सूत्रों ने बताया कि भाजपा के किसी भी नेता को मंत्रिमंडल विस्तार में शामिल न करने का फैसला तब लिया गया जब मंत्री बनने की इच्छा जता चुके कई नेताओं ने साथ छोड़ने की धमकी दी।
मंत्रिमंडल में शामिल किए गए दस नये मंत्री उन 16 कांग्रेस-जद(एस) विधायकों में शामिल हैं जिनके चलते एच डी कुमारस्वामी की गठबंधन सरकार गिर गई थी। इन अयोग्य करार दिए गए विधायकों में से 13 ने दिसबंर में हुआ उपचुनाव लड़ा था और इनमें से 11 जीते थे।
इनमें से जिस एक विधायक को मंत्रिमंडल विस्तार से बाहर रखा गया है वह महेश कुमारतली है जिन्हें मुख्यमंत्री ने ‘‘कुछ और बड़ी जिम्मेदारी’’ देने का वादा किया है।
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