असम में नागरिक रजिस्टर का पहला मसौदा प्रकाशित, सिर्फ 1.9 करोड़ नागरिक वैध

Last Updated 01 Jan 2018 02:57:42 PM IST

बहुप्रतीक्षित राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) का पहला मसौदा जारी कर दिया गया है. इसमें असम के कुल 3.29 करोड़ आवेदनों में से 1.9 करोड़ लोगों को कानूनी रूप से भारत का नागरिक माना गया है.


(फाइल फोटो)

रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया (आरजीआई) शैलेष ने आधी रात को एक संवाददाता सम्मेलन में इस मसौदे को सार्वजनिक किया और बताया कि बाकी के नामों पर विभिन्न स्तरों पर जांच की जा रही है.

बीती रात उन्होंने कहा, यह मसौदे का एक हिस्सा है. इसमें 1.9 करोड़ लोगों के नाम शामिल हैं, जिनकी जांच हो चुकी है. बाकी के नामों की कई स्तरों पर जांच चल रही है. जैसे ही जांच पूरी हो जायेगी हमलोग अन्य मसौदा भी ले आयेंगे. 

राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के राज्य समन्यवयक प्रतीक हजेला ने कहा कि जिन लोगों का नाम पहली सूची में शामिल नहीं है, उन्हें चिंता करने की जरूरत नहीं है.

हजेला ने कहा, नामों की जांच एक लंबी प्रक्रिया है. इसलिए ऐसी संभावना है कि पहले मसौदे में कई ऐसे नाम छूट सकते हैं जो एक ही परिवार से आते हों. 

उन्होंने कहा, चिंता की जरूरत नहीं है क्योंकि बाकी के दस्तावेजों का सत्यापन चल रहा है. 

अगले मसौदे के लिये संभावित समय सीमा के बारे में पूछे जाने पर आरजीआई ने कहा कि इसका फैसला उच्चतम न्यायालय के दिशानिर्देशों के अनुसार किया अप्रैल में इसकी अगली सुनवाई के दौरान किया जायेगा. उच्चतम न्यायालय की निगरानी में इन दस्तावेजों को तैयार किया जा रहा है.

शैलेश ने कहा कि पूरी प्रक्रिया वर्ष 2018 के अंदर पूरी कर ली जायेगी.

आवेदन की प्रक्रिया मई, 2015 में शुरू हुई थी, जिसमें समूचे असम के 68.27 लाख परिवारों से 6.5 करोड़ दस्तावेज मिले थे.

हजेला ने कहा, अंतिम मसौदा आते ही शिकायतों पर कार्वाई की जायेगी, क्योंकि बचे हुए नाम आखिरी मसौदे में शामिल किये जाने की संभावना है. 



समूचे असम में बने एनआरसी के सेवा केंद्रों पर लोग एक जनवरी को सुबह आठ बजे से पहले मसौदे में अपने नाम तलाश सकते हैं. इसे ऑनलाइन और एसएमएस सेवा के जरिये भी देखा जा सकता है.

असम एकमात्र ऐसा राज्य है जिसके पास एनआरसी है. इसे सबसे पहले वर्ष 1951 में तैयार किया गया था. 20वीं सदी से ही राज्य में बांग्लादेश से लोगों का प्रवाह रहा है.

संपूर्ण प्रक्रिया पर निगरानी रख रहे उच्चतम न्यायालय ने करीब दो करोड़ दावों की जांच के बाद 31 दिसंबर तक एनआरसी का पहला मसौदा प्रकाशित करने का आदेश दिया था. जांच में करीब 38 लाख लोगों के दस्तावेज संदिग्ध मिले थे.

भाषा


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