गुजरात चुनाव के चलते ही टला है संसद सत्र - शाह
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि यह एक वास्तविकता है कि संसद के शीतकालीन सत्र को गुजरात चुनाव के चलते ही टाला गया है.
![]() भाजपा अध्यक्ष अमित शाह (फाइल फोटो) |
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने एक कार्यक्रम में कहा कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है. पहले भी कांग्रेस के शासन में मध्य प्रदेश, केरल, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु के चुनावों के दौरान भी ऐसा हो चुका है. इसे टाला भर गया है इसकी अवधि कम नहीं की गयी है तो ऐसे में किसी को क्या आपत्ति है.
उन्होंने कहा, 'लोकतंत्र' के इतने बड़े पर्व के समय अलग नेता लोगों से रूबरू मिलते हैं तो यह तो ठीक बात है. ऐसा सभी दलों के लिए मौका है. यह पूछे जाने पर कि कांग्रेस का आरोप है कि राफेल विमान सौदा और उनके बेटे की कंपनी समेत अन्य मामलों पर गुजरात चुनाव के समय संसद में चर्चा से बचने के लिए ऐसा किया गया है, शाह ने कहा कि सारे मुद्दे चुनाव के दौरान भी उठाये जा सकते हैं और उठाये जा भी रहे हैं. चुनावी मंच से बड़ा कोई मंच नहीं है. संसद में तो चर्चा के कुछ नियम है पर चुनावी मंच से तो कोई भी बेखौफ बोल सकता है.
उन्होंने कहा कि अगर राफेल सौदे में घपला हुआ हो तो जनता इसको जरूरत समझती. राहुल जी को लगता है कि यह भी बोफोर्स की तरह हुई डील है पर इसमें कोई सच्चाई नहीं है. यह दो सरकारों के बीच का करार है.
एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के गुजरात में गुजराती में चुनावी भाषण देने में कुछ भी गलत नहीं है. यहां की यह भाषा है और मोदी को यह आती है.
मोदी गुजरात के बेटे हैं यह एक हकीकत है इससे कोई इंकार नहीं कर सकता तथा पर हम किसी को बाहरी नहीं कहते. पर यह भी सच है कि कांग्रेस और गांधी नेहरू परिवार सत्ता में रहने पर गुजरात का अपमान करती रही है.
उन्होंने यह भी कहा कि आतंकवादी हाफिज सईद को छोड़ दिया जाय और किसी को खुशी हो यह बहुत बड़ा मुद्दा है इसे चुनाव में जनता के समक्ष ले जाया जाना चाहिए.
शाह ने कहा कि राहुल ने गुजरात चुनाव से अधिक दौरे उत्तर प्रदेश में किये थे. वह चुनाव के ही बहाने सही मंदिर भी जा रहे हैं जो अच्छी बात है. उनके आक्रामकता से बोलने से कुछ नहीं होगा. वह कोई मुद्दा खड़ा नहीं कर पाये हैं. नैनो के नहीं दिखने की बात करना उनके सामान्य ज्ञान का अभाव है क्योंकि यह टाटा मोटर्स का संयंत्र है जिसमें अन्य वाहन भी बनते हैं. सार्वजनिक जीवन में होने के चलते उन पर और उनके बेटे की कंपनी पर आरोप लगे पर इसमें टर्नओवर और मुनाफे का घालमेल है. 80 करोड का टर्नओवर के बावजूद कंपनी को डेढ़ करोड़ का घाटा हुआ था. हमने अदालत का दरवाजा खटखटाया और सामने का पक्ष इसकी सुनवाई टाल रहा है. हम चाहते हैं कि जल्द से जल्द सुनवाई हो. राहुल जी अपने खिलाफ लगे किसी मामले में अदालत क्यों नहीं जाते. नोटबंदी के बाद हर चुनाव में इसे मुद्दा बनाने के बावजूद हारने वाली कांग्रेस इसे 2019 के लोकसभा चुनाव और 2022 के गुजरात चुनाव में भी इसे मुद्दा बना सकती है. गुजरात चुनाव का सबसे बड़ा मुद्दा लगातार चल रहे विकास को पांच साल और बढाने का होगा.
उन्होंने कहा कि पाटीदार आज भी भाजपा की रीढ़ की हड्डी हैं.
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