घाटकोपर इमारत हादसा: मलबे में दबी जिंदगी की हुई जीत
घाटकोपर में गिरी आवासीय इमारत के मलबे में जीवित बचे लोगों की तलाश करते एनडीआरएफ के जवान के कानों में कुछ इस तरह की आवाजें सुनाई पड़ीं- मेरे हाथ काट दो लेकिन मुझे मलबे से बाहर निकाल लो.
घाटकोपर इमारत हादसा: मलबे में दबी जिंदगी की हुई जीत (फाइल फोटो) |
दर्द से भरी यह आवाज थी 50 वर्षीय प्रज्ञा जडेजा की..जो असहाय होकर कह रही थीं- मेरे दोनों हाथ काट दो भइया, मुझे जल्दी बाहर निकालो..नहीं तो मैं मर जाउंगी.
प्रज्ञा जीवित बचे उन 11 लोगों में से एक हैं, जिन्हें सिद्धि साई कोऑपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी की चार मंजिला इमारत के मलबे से निकाला गया है. यह इमारत मंगलवार सुबह ढह गई थी. इस हादसे में 17 लोगों की मौत हुई है.
कॉन्स्टेबल संतोष जाधव ने कहा, हम मलबे में बहुत मुश्किल से झांक सके. प्रज्ञा के दोनों हाथ गिर चुकी दो बड़ी दीवारों से आंशिक रूप से कुचले गए थे, लेकिन हमने उन्हें तसल्ली दी. उस बड़े से ढांचे को काटा और उन्हें सुरक्षित बाहर निकाला.
इसी तरह 20 वर्षीय महिला की चीखें सुनकर उसे बचावकर्मियों ने सुरक्षित बाहर निकाला.
एक अन्य कर्मी ने कहा, यह महिला मलबे के भारी ढेर के नीचे दबी थी और दर्द से कराह रही थी. हमने बड़े खंभों को यह प्रार्थना करते हुए हटाया कि कहीं ये उसके उपर न गिर जाएं. इसके बाद हमने उसे बाहर निकाला.
इमारत गिरने की घटना के तुरंत बाद ही राष्ट्रीय आपदा मोचन बल के 47 सदस्यीय दल को खोज एवं बचाव अभियान में लगा दिया गया था.
ऐसी आपदाओं में बच पाने की एक कहानी राजेश दोशी की है. दोशी की टांगें मलबे में कुचली जा चुकी थीं. उन्होंने इमारत ढहने के कई घंटे बाद अपने बेटे को शाम छह बजे फोन करके अपनी स्थिति बताने की कोशिश की.
बचाव अभियान में लगे बीएमसी के अधिकारी ने कहा, दोशी ने शाम छह बजे अपने बेटे को फोन किया लेकिन उनका पता लगाने और उन्हें सुरक्षित निकालने में लगभग आठ घंटे लग गए. उन्हें देर रात दो बजकर 45 मिनट पर बाहर निकाला जा सका.
एनडीआरएफ :मुंबई: के दल का नेतृत्व करने वाले डिप्टी कमांडेंट महेश नालावाडे ने कहा कि जवानों ने लोगों को बचाने के लिए परिष्कृत उपकरणों का इस्तेमाल किया.
उन्होंने कहा, हमारी टीम ने मलबे के नीचे लोगों की धड़कनों को पहचान पाने वाले सेंसरों का इस्तेमाल किया. हमने प्रशिक्षित खोजी कुत्तों का भी इस्तेमाल किया. हमने मलबे के नीचे फंसे लोगों का पता लगाने के लिए छेदों या अन्य स्थानों से कैमरे उतारे. हमने कटर का भी इस्तेमाल किया.
उन्होंने कहा कि बारिश न होना जवानों के लिए लाभकारी रहा.
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